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प्रभात
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राजवंश
इनकी वंश परम्परा का उस प्रान्त में बड़ा प्रभाव रहा है। यथार्थ में इनके पूर्वज राजा सदृश थे। पहले इनके पूर्वज श्री पद्मगौंडा देसाई बीजापुर जिले में शालबिद्री स्थल के अधिपति थे। ब्रिटिश शासनकाल में भी अन्य नरेशों के समान इनके पूर्वजों की बातों का बड़ा सम्मान किया जाता था। दिगंबर पद के लिये कुलीनता की आवश्यकता
कुछ समय से चतुर्थ जाति में (छोड़ी गई विवाहिता व विधवा स्त्रियों के) पुनर्लग्न की कुप्रथा प्रचलित हो गई थी, इसलिए भ्रम वश कोई-कोई यह सोचते हैं कि आचार्यश्री के वंश में भी यह दोष रहा होगा। इसका आश्रय ले वे जघन्य प्रवृत्तियों के प्रचारक पुनर्विवाह को प्रोत्साहन देना चाहते थे, किन्तु जब यह सत्य प्रकाश में आया कि आचार्यश्री के मातृपक्ष और पितृपक्ष परम्परा में कहीं भी पुनर्लग्न की कालिमा नहीं है, तब भ्रांत लोगों को चुप होना पड़ा।
एक बार महाराज के समक्ष इस संबंध में प्रश्न आया था, तब उन्होंने कहा था कि हमारे घराने में पहले कभी भी पुनर्विवाह नहीं हुआ है। यदि कोई यह सिद्ध कर दे, तो हम इस पद को छोड़कर अन्य छोटे पद को ग्रहण कर लेंगे। यह मुनि दीक्षा हमने आत्मकल्याण के लिये ली है, अहंकार पूर्ति के लिये नहीं। दिगंबर जैन शास्त्रों में कहा है कि विशुद्ध वंश वाला त्रैवर्णिक ही निर्ग्रन्थ दीक्षा धारण कर सकता है। संगम भूमि
भोज भूमि में दो सुन्दर नदियाँ, दूध गंगा और वेद गंगा, मिलकर उसे अपना संगम स्थल बनाए हुए हैं। जब हम उन नदियों के संगम पर पहुंचे, तब वहाँ के प्रशांत और रम्य वातावरण में यह विचार उत्पन्न हुआ कि ये दोनों नदियाँ एक विशेष बात की प्रतीक है। वेदगंगा ज्ञान की और दूधगंगा पवित्र प्रेम रस भरे उज्ज्वल चरित्र की सूचिका है। हमें प्रतीत होता है कि शांतिसागर महाराज का जीवन भी सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र के संगम रूप प्रयागराज के समान आध्यात्मिक तीर्थ बन गया है, जिसके द्वारा विश्व के सभी प्राणधारियों को अत्यंत मधुर और रसमय आध्यात्मिक भोजन प्राप्त होता रहा है। आध्यात्मिक भोजन दान करने वाले भी श्री भीम के आत्मज की निवास भूमि का भोज नाम बड़ा अर्थपूर्ण लगता है। यही बात हमने आचार्यश्री के पूर्वजों के द्वारा बनाये गये जिनमंदिर की पार्श्व-भूमि में एकत्रित समाज के समक्ष अपने भाषण में कही थी। हमने तो यह भी कहा था कि विश्व के अनुपम आध्यात्मिक संतराज शांतिसागर महाराज की निवासभूमि, उनके गुणानुरागी लोगों के लिये तीर्थ स्वरूप लगती है।
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