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चारित्र चक्रवर्ती आदि का त्याग किया। गोटेगांव के भाग्य जगे
अनेक ग्रामों के जीवों का कल्याण करता हुआ संघ गोटेगांव पहुंचा। यहां लहुरीसेन भाई आये और उन्होंने स्त्री-पुनर्विवाह प्रथा के समर्थन में चर्चा चलाई तथा उन्होंने समानाधिकार के बारे में प्रश्न किये, जिनका समाधानकारी उत्तर दिया गया। मुक्ति के साथ आगम का आधार इन प्रश्नों को समझने में सहायता देता है। दिगंबर जैन आगम में सर्वत्र शील-धर्म की ही प्रतिष्ठा स्थापित की गई है। विधवा-विवाह नीचों का कार्य बताया गया है। जिन व्यक्तियों का कषायोदय से शील के उज्ज्वल पथ से पैर फिसल गया है, उनको आगामी अपनी असत् प्रवृत्ति का समर्थन तथा प्रचार नहीं करना चाहिए। जितना भी पाप से बचा जाय उतना ही कल्याण होगा। जितना संयमपूर्ण जीवन व्यतीत किया जायगा, उतना ही सुख और शांति का लाभ होगा। जिन सामाजिक कुप्रथाओं से आगामी धर्ममय जीवन को बाधा आती है, उनके सुधार करने में हित ही होगा। जो रीति-रिवाज धर्म की अभिवृद्धि करते हैं वे सदा सर्वत्र मान्य होने चाहिए। जो ऐसे न हों, वे कैसे आदर के पात्र होंगे? ___ इसके पश्चात् संघ ने आसपास के अनेक ग्रामों में जाकर हजारों व्यक्तियों को मद्यमांसादि का त्यागी बनाने का प्रशस्त कार्य किया। जब संघ बेलखेरा गाँव में आया, तब वहाँ के ब्राह्मणों आदि ने इन परमहंस सदृश गुरुओं का पुण्योपदेश सुनकर अनेक नियम लिये और अपनी जैनधर्म के प्रति विद्वेष की भावना का परित्याग किया। इससे वहाँ कभी न निकल सकने वाला श्री जी का विमानोत्सव बड़े उमंग, उत्साह तथा प्रेमपूर्वक हो गया था। शूद्रादि द्वारा मद्य-मांसादिक त्याग __ यहाँ से संघ ने पिपरिया के लिए प्रस्थान किया, किन्तु रास्ते में कुआँ खेरा ग्राम की
अजैन जनता द्वारा स्वागत की प्रेमपूर्वक तैयारी होने से संघ को कुछ देर वहाँ ठहरना पड़ा। ऐलक पार्श्वकीर्ति महाराज के उपदेश हुए। बड़ा प्रभाव पड़ा। मांसादि त्याग का नियम शूद्र भाइयों ने भी लिया। बहुतों ने अनेक प्रकार के व्रत लिए। इनसे जीवों का सच्चा हित होता है। अगणित लोगों का कल्याण हो जाता है और दुनियाँ को पता नहीं चलता है, कारण यह सेवा का कार्य अथवा उपकार का काम दिखावे से पूर्णतया शून्य रहता है।
राजनीतिज्ञों का संसार इससे विलक्षण होता है। वहाँ कार्यशून्य होते हुए भी श्रोताओं की शीर्ष गणना को ही शीर्ष स्थान दे वक्ता की सफलता का निश्चय किया जाता है और इसी की चतुर्दिक में दुंदुभि बजाई जाती है। नैतिक जीवन को समुन्नत करने के विषय में
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