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सल्लेखना
३६६ वर्षों से आने-जाने वाले कुछ शिक्षित और सम्पन्न भक्तों को वेव्रती बनने को कहा करते थे, परन्तु उन भक्तों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती थी। महाराज निराश नहीं होते थे।
वे साधुराज एक दिन कहने लगे-"नर्मदा नदी के पत्थर बहुत चिकने हो जाते है। पानी में निरन्तर रहते-रहते उन पर भी जल टिकने लगता है, किन्तु तुम लोगों के मन में हमारी बात क्यों नहीं टिकती है?" पश्चात् महाराज बोले-“तुम व्रती नहीं बनते हो, नहीं बनना चाहते हो और हम निरन्तर तुमको यह कहते रहते हैं। यथार्थ में तुम तो बहुत अच्छे हो। हम ही अज्ञानी हैं।"
इसके बाद आचार्यश्री की करुणा प्रेरित यह वाणी निकली-“अरे! क्या देखते हो। व्रत पालोगे, तो स्वर्ग में तुम हमारे साथी रहोगे। वहाँ भी मिलते रहेंगे। हमें वहाँ साथी चाहिए। देखो! अभी तुमको इतना आग्रह करते हैं। स्मरण रखो आगे फिर शांतिसागर तुमको कहने नहीं आने वाला है। स्वर्ग में जाकर वहाँ से विदेह में पहुँच सीमंधर स्वामी के प्रत्यक्ष दर्शन कर सकोगे। उनकी दिव्यध्वनि सुन सकोगे। नंदीश्वर आदि के अकृत्रिम जिन बिम्बों का दर्शन कर सकोगे। इससे तुमको सम्यक्त्व मिल जायेगा। वहाँ से विदेह में उत्पन्न होकर मोक्ष जा सकोगे। सोचो ! एक बार फिर सोचो।"
महाराज की यह मार्मिक वाणी उन लोगों के मन पर असर कर गई और उन लोगों ने कठिन परिस्थिति होते हुए भी व्रत प्रतिमा धारण कर ली। कुंथलगिरि में उन बन्धुओं से भेंट हुई थी। उन्होंने अपनी कथा सुनाते हुए संयम धारणजनित शांति और संतोष को व्यक्त किया था। आज व्रती होकर उनका निधन हो गया। वे वास्तव में स्वर्गवासी बन गए। गुरुदेव का महान् उपकार था। प्रायश्चित लो __ एक व्यक्ति ने, जो अधिक वृद्ध हो गए थे, बताया था कि, महाराज ने हमें व्रत प्रतिमा दी थी तथा कहा था-“घबड़ाना मत। व्रतों को निर्दोष पालने का पूरा-पूरा प्रयत्न करते रहना। यदि दोष आ जावे, तो प्रायश्चित ले लिया करना। दोष आ जाने पर माह दो माह पर्यन्त णमोकार महामंत्र की विशेष रूप से चार माला और जप लिया करना।" जनगौंडा पाटील को देशना
कुंथलगिरि में महाराज के स्व. छोटे भाई कुमर्गौडा पाटील के चिरंजीव श्री जनगौंडा पाटील जयसिंगपुर से सपरिवार आए थे। आचार्य महाराज के चरणों को उन्होंने प्रणाम किया। बाल्यकाल में जनगौडा आचार्य महाराज की गोद में खूब खेल चुके थे, जब महाराज शांतिसागरजी सातौंड़ा पाटील थे। उस समय का स्नेह दूसरे प्रकार का था, अब का स्नेह वीतरागता की ओर ले जाने वाला था।
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