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११ सितम्बर - आचार्य श्री आज दिन भर गुफा से बाहर नहीं आये।
११ सितम्बर १९५६ सल्लेखना का आज २६ वां दिन था। आज प्रात: और दोपहर दोनों ही समय आचार्य श्री अशक्तता बहुत ज्याद बढ जाने के कारण बाहर नहीं आये, अत: जनता दर्शन न कर सकी।
१२ सितम्बर - इस दिन आचार्य श्री के मुख की अलौकिक प्रभा देखने लायक थी।
१२ सितम्बर १९५५ आज सल्लेखना के ३० वें और जल न ग्रहण करने के ८ वें दिन आचार्य श्री की हालत चिंताजनक रही। फिर भी जनता के विशेष आग्रह से आचार्य महाराज के दर्शन की छूट दे दी गई । आचार्य महाराज बाहर कमरे में दिन के १ बजे से ५ बजे तक लेटे हुये आत्म चिंतन करते रहे और ५-६ हजार जनता ने आचार्य श्री के पुनीत दर्शनों का लाभ लिया। आचार्य श्री की हालत अत्यंत नाजुक तथा नाड़ी की गति अत्यंत मंद रही। आंखों की ज्योति क्षीण होने के अतिरिक्त और किसी भी प्रकार की शारिरिक वेदना न होने के कारण आत्मध्यान में लीन रहे।
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