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वेदगंगा, दूधगंगा के संगम का दृश्य । नाव पर लेखक बैठे है।
लेखक द्वारा संपादित तथा अनुवादित प्राकृत का प्राचीनतम दिगंबर जैन कर्म साहित्य का महान ग्रंथ
महाधवल का आ. श्री को सर्मपण का दृश्य (सोलापुर में)
दुकान जहां आ. श्री बैठा करते थे। बाहर लेखक खड़े हैं।
आचार्य श्री आत्मचिंतन मुद्रा में।
आचार्य महाराज ग्रंथ परिशीलन में निमग्न ।
आचार्य महाराज विचार निमग्न ।
आचार्य महाराज ध्यानास्थ।
आचार्य श्री का कमंडल, आसन, पिच्छी व ग्रंथ ।
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