________________
रावलगाव ता २०-१-५०
श्रीमान् मा. शिरगुरकर पाटीलसा देल्ली.
कुछ
परमपूज्य प्रातःस्मरणीय आचार्य चोकी आज्ञा से मैं यह पत्र लिख रही है। आपकी पत्र ता. १५-१.५० मिला। समाचार मांकुम हुए । परंतु लेखित स्टेटमेन्ट विवाध अचराहणा ठिक नही पड़ेगा क्योंकि हमारे लिए बहोतसे नें 7 कुछ छोड़ करना है वास्ते पहिले उनको ग्रहण करने के लिए प्रसिद्ध करना पड़ेगा और लेखित स्टेटमेन्ट आये विक इस तरह प्रसिद्ध करना ठीक नहीं है। इसलिए आप लेखित स्टेटमेन्ट लेकर जल्दो पंधारियेगा। के आपका घर का बहुत ही प्रशंसनीय है। आप अगर हमें नहीं मिले हुए होते तो मर कार्य होना बिलकुल हो ना था. 1 आप होने जैनधर्मको रक्षा की है। साथ शुरू ११ को हमको अन्नत्याग किये १८ महिने होगये है और आप होने अग्रहण कराया है. नहीं तो जिंदगी भर हमको रही विशेष आपने यहा पधारने पर 1 आचार्यश्रीने आपको आशीर्वाद काम है।
तरह रखवा पढ़ना था ।
श्रीमती सौ. कुमुदिनीबाईसा. आज मातो फूल के
आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज द्वारा श्री शिरगूरकर पाटील साहब को लिखवाया गया पत्र ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org