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१७ सितम्बर - आचार्य श्री ने पूरा दिन व रात्रि इसी करवट में ध्यान करते हुए बिताया।
१७सितम्बर १९५५
आज सल्लेखना का ३५ वां दिन था । आज गुफा की दालान में आचार्य श्री को लिटा दिया गया। फलत: उपस्थित हजारों की जनता ने देशभूषण कुलभूषण मन्दिर तथा आचार्य श्री के पुण्य दर्शनों का लाभ लिया । आज दिन इन्दौर से रा.ब. सेठ हीरालालजी कासलीवाल, सेठ भंवरलालजी सेठी, मध्यभारत के वित्तमंत्री श्री मिश्रीलालजी गंगवाल, आचार्य श्री के दर्शनार्थ पधारे । शाम को सेठ भंवरलालजी सेठी और श्री मिश्रीलाल 'जी गंगवाल का भाषण हुआ । मिश्रीलालजी सा. के गुरूभक्ति पर जनता को मंत्रमुग्ध करने वाले भजन हुये। आचार्य श्री ने अपना समय आत्म ध्यान में व्यतीत किया।
१८ सितम्बर - अंतिम दर्शन - आचार्य श्री समाधि के कुछ क्षण पूर्व ।
१८सितम्बर १९५५
आज आचार्य श्री की सल्लेखना का ३६वां दिन था और आचार्य श्री की इस लोक की जीवन लीला का अंतिम दिन । आचार्यश्री जागृत अवस्था में सिद्धोऽहंका ध्यान करते रहे। ६ ।। बजे गंधोदक ले जाकर क्षुल्लक सिद्धिसागरजी ने कहा, महाराज अभिषेक का जल है, महाराज ने हूं में उत्तर दिया और गंधोदक लगा दिया गया।महाराज सिद्धोऽहं का ध्यान करते हुए ६-५० परस्वर्गवासी हो गये।
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