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२० अगस्त - अभिषेक के पश्चात् आचार्य श्री को अर्घ सर्मपण कर क्रमशः नमोस्तु करते श्रावक वृंद।
२० अगस्त १९५५ आज जल ग्रहण किया । कमजोरी के कारण सिर में भी दर्द हो गया । शारिरिक-स्थिति कमजोर होते जाने पर भी चर्या पूर्ववत् जारी रही।
२१ अगस्त - आचार्य श्री पूजा के उपरांत मन्दिर जी से लौटते हुए।
१ अगस्त १९५५ आज भी जल ग्रहण नहीं किया। विशेष बात यह हुई कि आचार्य श्री के भतीजे जिन गौड़ा ने आचार्य श्री से आजन्म बह्मचर्य व्रत ग्रहण किया। काय
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