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चारित्र चक्रवर्ती करें, जिससे हम परोक्ष में आपके दर्शन से लाभ ले सकें। हमारी प्रार्थना स्वीकार हुई।
फोटोग्राफर महाराज के पास आया। उसने महाराज से कहा-“महाराज! अच्छी फोटो के लिए, यह जगह ठीक नहीं है। दूसरा स्थान उचित है। वहाँ चलिए।" इसके साथ ही इस प्रकार खड़े रहिए आदि विविध प्रकार के सुझाव उपस्थित किए गए। महाराज अनुज्ञा देकर वचनबद्ध थे। उन्होंने फोटोग्राफर के संकेतों के अनुसार कार्य किया। फोटो तो खिंच गई, किन्तु इसके बाद एक विचित्र बात हुई।" मन को दण्ड
"उस समय महाराज दूध, चांवल तथा पानी के सिवाय कोई भी वस्तु आहार रूप में नहीं लेते थे। फोटो खींचने की स्वीकृति देने वाली मनोवृत्ति को शिक्षा देने के हेतु महाराज ने एक सप्ताह के लिए दूध भी छोड़ दिया। बिना अन्य किसी पदार्थ के वे केवल चावल और पानी मात्र लेने लगे।"महाराज ने बताया- "हमारे मन ने फोटो खिंचवाने की स्वीकृति दे दी। इसमें हमें अनेक प्रकार की पराधीनता का अनुभव हुआ। फोटोग्राफर के आदेशानुसार हमें कार्य करना पड़ा, क्योंकि हम वचनबद्ध हो चुके थे। हमने दूध का त्यागकर अपने मन को शिक्षा दी, जिससे वह पुनः ऐसी भूल करने को उत्साहित न हो।" इस प्रकरण से महाराज की लोकोत्तर मनस्विता पर प्रकाश पड़ता है। रसना-इन्द्रिय का जय
नसलापुर चातुर्मास में यह चर्चा चली कि-"महाराज ! आप दूध, चावल तथा जलमात्र क्यों लेते हैं ? क्या अन्य पदार्थ ग्रहण करने योग्य नहीं हैं।"महाराज ने कहा"तुम आहार में जो वस्तु देते हो, वह हम ले लेते हैं। तुम अन्य पदार्थ नहीं देते, अतः हमारे न लेने की बात ही नहीं उत्पन्न होती है।"
दूसरे दिन महाराज चर्या को निकले। दाल, रोटी, शाक आदि सामग्री उनको अर्पण की जाने लगी, तब महाराज ने अंजुलि बंद कर ली। आहार के पश्चात् महाराज से निवेदन किया गया-“स्वामिन् ! आज भी आपने पूर्ववत् आहर लिया। रोटी आदि नहीं ली। इसका क्या कारण है ?" महाराज ने पूछा-“तुमने आटा कब पीसा था, कैसे पीसा था?"इन प्रश्नों के उत्तर के रूप में यह बताया गया कि रात को आटा पीसा था आदि। तब महाराज ने कहा-“ऐसा आहार मुनि को नहीं लेना चाहिए।"
इसके बाद तीसरे दिन फिर पूर्ववत् ही महाराज ने आहार लिया। आहार के पश्चात् महाराज ने भोजन की अनेक त्रुटियाँ बताई। भक्ष्य-अभक्ष्य के विषय में पूर्ण निर्णय होने में पंद्रह दिन का समय व्यतीत हो गया। इसके बाद महाराज ने अन्य शुद्ध भोज्य वस्तुओं का लेना प्रारम्भ किया। केवल दूध, चांवल, जल लेते-लेते लगभग आठ-दस वर्ष का
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