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चारित्र चक्रवर्ती अचिन्त्य सिद्धियों की जननी है। त्यागी समुदाय ने हमारा समर्थन किया था।
गद्य चिंतामणि में आचार्य वादीभसिंह ने लिखा है,“जिन भगवान् के चरणकमल की भक्ति का शीकर (जलकण) सुरेन्द्र तथा असुरेन्द्र के पदों को प्राप्त कराता है।" ___ हमारी तो यह धारणा है कि जब भी जैनधर्म पर संकट आवे, तब समाज के धार्मिक व्यक्तियों को समुदाय रूप से जिनेन्द्र की आराधना, पूजा, जाप आदि करना चाहिए। इस अंग की उपेक्षा के कारण ही अनेक उद्योगों में असफलता का दुःख भोगना पड़ा है। इस कारण हम जहाँ भी गये और धार्मिक बंधुओं से मिलना हुआ, वहाँ हमने पंचपरमेष्ठी की आराधना करने की ही प्रेरणा की। चिन्ता __ हम बम्बई से चलकर १२ जुलाई, सन् १९५१ को अपने छोटे भाई शान्तिलाल के साथ आचार्य महाराज के पास पहुंचे थे। उस समय महाराज को केस की विशेष चिन्ता थी। क्योंकि जैनपक्ष के वकील सर इंजीनियर यूरोप में थे और दास बाबू के आने का पक्का समाचार नहीं आया था। सेठ गजराजजी के पास आचार्यश्री के तरफ से तीन तार गये, रजिस्टर्ड पत्र भी गया, किन्तु वहाँ का उत्तर न आने से महाराज के मन में ऐसा लगा कि इस सम्बन्ध में कहीं हमें भ्रम में तो नहीं डाला गया है। मैंने कहा-“महाराज, गजराजजी बाहर होंगे, इससे उत्तर नहीं आया।" पश्चात् मैंने गजराजजी को तार भेजा किन्तु इस विषय में महाराज से कुछ भी परामर्श नहीं किया था।
तार में लिखा था कि आचार्य महाराज मामले के बारे में बहुत चिन्तित हैं, क्या आप बैरिस्टर दास को लेकर पेशी पर बम्बई पहुंचेगे ? उत्तर में १३ जुलाई, सन् १९५१ को कलकत्ते का तार मिला।
आचार्यश्री से कहा- "इस प्रकार का तार गजराजी का कलकत्ते से आया है कि वकील दास बाबू की व्यवस्था हो गई। वे ता. २३ को केस में शामिल होंगे। ता. १७ को दिल्ली के इंपीरियल होटल में परामर्श होगा। वे सालीसिटर के साथ ता. १७ को दिल्ली पहुँच रहे हैं। मैं तथा तलकचन्दजी अवश्य ता. १७ को दिल्ली परामर्श के लिए पहुंचें।" गुरु आज्ञा
तार को सुनते ही आचार्यश्री की ओर से आदेश मिला, “जब तक केस पूरा नहीं होता
१. यदीय-पादाम्बुजभक्तिशीकरः सुरासुराधीश-पदाय जायते॥ २. Sumerchand Diwakar clo Chandulal Joti-chand, Baramati arranged with
Das. Will Join case 23rd. Consultations will be held New Delhi Imperial Hotel on 17th with Das. Myself with Solicitor going Delhi on 17th. You
and Talakchand must reach 17th Delhi for consultations. - Gajraj. Jain Education International For Private & Personal Use Only
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