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प्रतिज्ञा जिनालय, भूलेश्वर में की। सभी धार्मिक लोग जिनेन्द्रस्मरण करने में संलग्न थे।
जिनेन्द्र देवकी स्तुति करने से विघ्नों की राशि शाकिनी, भूत, सर्प दूर हो जाते हैं, विष भी निर्विषता को धारण कर लेता है। उस अवसर पर हमने अपने भाषण में कहा था, जो भाई और बहिन जाप में बैठने में असमर्थ हैं वे भी अपने अपने स्थानों में ही महामंत्र का जाप करें। आज के शासन में धर्म की प्रतिष्ठा का कार्य सामान्य नहीं है। ___ ता. २१ शनिवार को दास बाबू के बम्बई आने पर उनके निवासस्थान पर संध्या को काफी परामर्श होता रहा। हम, सर सेठ भागचंदजी सोनी, सेठ रतनचंद हीराचंदजी, सेठ राजकुमारसिंहजी और श्री फूलचंद कोठड़िया वकील, पूना, अकलूज के लोग आदि उपस्थित थे। दास बाबू ने केस को तैयार किया। बैरिस्टर पालकीवाला, बैरिस्टर बोहरा, श्री रमणलाल कोठारी सालीसिटर, श्री शाह वकील आदि सभी लोग यथाशक्ति प्रयत्नशील थे। बम्बई में निरन्तर कार्य में संलग्न रहने से समय के बीतने का पता नहीं चलता था। हाईकोर्ट बम्बई __ अब ता. २४ जुलाई १९५१का मंगलमय दिवस आया। हमने बड़े आनन्द से भगवान् की पूजा की। तैयार होकर हाईकोर्ट में काफी समय पहले पहुँच गए, क्योंकि टाइम्स
ऑफ इंडिया आदि दैनिक पत्रों में केस का वर्णन आ जाने से बड़े-बड़े लोगों की दिलचस्पी जागृत हो उठी थी। बैरिस्टर दास बाबू की बहस सुनने को अनेक विधिविशेषज्ञ (वकील) आ गए थे।
११ बजे चीफ जस्टिस श्री एम.सी. चागला तथा जस्टिस श्री गजेन्द्र गड़कर आ गए। उनके सामने की पंक्ति में बैरिस्टर पी. आर. दास तथा उनके सहयोगी बैरिस्टर थे, दूसरी ओर सरकारी वकील (बैरिस्टर), आमीन तथा एडवोकेट जोशी आदि थे।
न्यायाधीशों के आते ही अखंड सन्नाटा हो गया। चीफ जस्टिस ने पिछले एक मामले का फैसला पढ़ना प्रारम्भ किया। वह शायद पचास पृष्ठ लम्बा था। करीब-करीब उतना ही नहीं, तो उसका छोटा भाई सरीखा दूसरा फैसला जस्टिस गजेन्द्र गड़कर ने बाँचना प्रारम्भ किया। प्रतीक्षा के कारण एक-एक मिनट गिनते-गिनते डेढ़ बज गया। दास बाबू भी काफी श्रान्त दिखने लगे। सत्तर वर्ष से अधिक उनकी अवस्था भी हो गई थी। यह प्रतीत होता था कि नाश्ता (Lunch) के बाद ही केस लिया जायगा।
घड़ी में पौने दो हुए थे कि प्रधान न्यायाधीश श्री चागला ने पूछा “well, what is your case?" (कहिए दास बाबू ! आपका क्या मामला है।)
एकदम गम्भीर वातावरण हो गया। दास बाबू ने केस की कथा प्रारम्भ की कि अकलूज जिला सोलापुर में एक स्थान है, वहाँ के जैनमन्दिर का ताला सोलापुर के कलेक्टर ने
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