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चारित्र चक्रवर्ती की वंदना द्वारा संघ ने अवर्णनीय आनंद प्राप्त किया। टीकमगढ़ नरेश पर प्रभाव
पपौरा जाते हुए टीकमगढ़ में महाराज ठहरे थे। टीकमगढ़ स्टेट में जैनगुरु और जैनधर्म का बड़ा प्रभाव पड़ा। टीकमगढ़ नरेश से आचार्यश्री का वार्तालाप हुआ था। उससे टीकमगढ़ नरेश बहुत प्रभावित हुए थे। आचार्य महाराज में बड़ी समय सूचकता रही है। किस अवसर पर, किस व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार उचित और धर्मानुकूल होगा, इस विषय में महाराज सिद्ध-हस्त रहे हैं। ___ बुन्देलखण्ड अपने गजरथों के लिए प्रसिद्धरहा आया है। वहाँ के पंचकल्याणक महोत्सवों से अजैन लोग बहुत प्रभावित हैं। उस भूमि में आचार्य महाराज जैसी आध्यात्मिक तेजस्वी मूर्ति का विहार करना बड़ा प्रभाववर्धक हो गया। लोग तो यही कहते सुने गए कि जीवन में ऐसा आनंद फिर कभी नहीं आयगा और न कभी ऐसे सच्चे परमहंसरूप दिगम्बर मुनिराज के इस कलिकाल में फिर से दर्शन भी होंगे। चंदेरी
चंदेरी की प्रसिद्ध चौबीसी का महाराज ने दर्शन किया। जिस प्रकार का वर्ण जिन भगवान् का कहा गया है, वही वर्ण उन तीर्थंकर की मूर्ति का है, वहाँ की यह विशेषता है। प्रतिमाएं विशाल तथा मनोज्ञ भी हैं। थूबोनजी
थूबोनजी की अत्यन्त उन्नत मूर्तियों का हृदय से एक बार दर्शन कर पुनः उन्हें कौन भूलेगा? ऐसे पुण्य-स्थलों के दर्शन से आचार्यश्री को अवर्णनीय आनन्द प्राप्त हुआ। आज का वैभवशाली, अहंकारपूर्ण मानव जब बुन्देलखण्ड में यत्र-तत्र बिखरे जैन वैभव को देखता है, तब उसे उस भूमि की गौरवपूर्ण अवस्था समझ में आती है और वह नतमस्तक हो जाता है।
आज जिन लोगों को मन्दिर के भंडार के रुपये भारी लगते हैं, वे यदि उस सम्पत्ति का उपयोग ऐसे स्थल के जिनबिम्बों, जिनालयों के उद्धार तथा व्यवस्था में लगावें, तो उनके प्रति संसार कृतज्ञता प्रगट करेगा।
लोग अपने मन्दिर के प्रति जिस प्रकार आत्मीयता का भाव रखते हैं, वैसा ही प्रेम अन्य जिनालयों के प्रति हो जाय, तो स्थिति काफी सुधर जाय। बुन्देलखण्ड के बड़ेबड़े स्थान वाले ही यदि अन्य मन्दिरों को भी अपने मन्दिर का कुटुम्बी-सा अनुभव करें, तो शीघ्र ही महत्वपूर्ण कार्य हो जाय। इसे भूलकर मन्दिर की रकम को ऐसे कामों में लाने में उत्साह दिखाते हैं, जिनके लिए परमागम आज्ञा नहीं देता है।
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