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प्रतिज्ञा
२८८ की याद दिलाई। कुछ समय बाद यह ज्ञात हुआ कि बिहार प्रान्त की सरकार ने चैत्र सुदी त्रयोदशी को महावीर-जयन्ती की छुट्टी घोषित कर दी। इससे आशा होती थी, कि साधु हृदय राजेन्द्र बाबू के प्रयत्न से जैन गुरु का संकट दूर होगा। .. पंडिता चंदाबाई अपने भतीजे बाबू चक्रेश्वरकुमारजी को साथ लेकर बम्बई रवाना हुई। उनका तार पाते ही हम भी बम्बई पहुँचे। मुख्यमंत्री श्री वी.जी. खेर से चर्चा हुई, किन्तु अन्तःकरण की शुद्धता न होने के कारण स्थिति में कोई सुधार न हुआ।
उस समय बड़ा विचित्र वातावरण था। महाराज के समक्ष अपनी भक्ति की दुहाई देने वाले अनेक धनी-मानी लोग परोक्ष में यही कहते थे कि महाराज ने व्यर्थ में अन्नत्याग करके वज्र तुल्य शासन से सिर रगड़ने का कार्य किया।
ऐसे लोगों से मुझे अनेक बार मिलने का मौका मिला। मैं बड़ी दृढ़तापूर्वक उन शिथिल मनोवृत्ति वाले सज्जनों से कहता था कि आप साथ दें अथवा न दें, हम तो आचार्यश्री को अन्नग्रहण कराने के उद्योग में पीछे न हटेंगे। यदि शासक अत्याचारी बनकर धर्म पर आक्रमण करता है, तो हम उसके विरोध में अपनी आवाज को उठाये बिना न रहेंगे। अत्याचारी के कार्य की कभी भी हम अनुमोदना नहीं करेंगे।" मैंने अपने सभी सार्वजनिक कामों को बन्द कर इसी क्षेत्र में सारी शक्ति लगा कर उद्योग आरम्भ किया था। इसीलिए मैंने रामटेक गुरुकुल के संचालन से त्यागपत्र दे दिया था। इस बीच में मैं राष्ट्र के श्रेष्ठ अधिकारियों से मिला। उच्च विधान-शास्त्रियों आदि से भी भेंट की। विरोधी लोग हमारे कार्यों को ज्ञात कर उपद्रव और उत्पात करेंगे, इसलिए हम प्रयत्नपूर्वक अपने कार्यों को समाचार-पत्रों में प्रगट होने से बचाते थे।
बम्बई कानून के समान कानून तो मध्यप्रदेश में भी आया था, किन्तु हमने एक जैन शिष्ट-मंडल ले जाकर प्रांतीय सरकार के समक्ष निवेदन किया, तो बुद्धिमान मंत्रिमंडल ने जैनियों को कानून के भार से मुक्त कर आभारी किया तथा 'एक विशेष पत्रक निकालकर भ्रम का निवारण भी किया।
मध्यप्रदेश की विधान-सभा के तत्कालीन अध्यक्ष श्री घनश्यामसिंह गुप्त से अनेक बार परामर्श किया। एक बार उनसे आवश्यक परामर्श निमित्त ज्वर की स्थिति में हम
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Entry into Jain Temples. Nagpur, 12th Dec. 1947. A press note says: "Governments have requesting that the provisions of The C.P. & Berar Temple Entry Authorisation Act 1947 should not be applied to the Jain temples. Section 2B of Act defines the word 'Temple' clearly enough to show that the Act applies to Hindu temples only and Jain temples are not therefore effected by the Act.
(Nagpur English Daily The Hitvada of 14-12-47)
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