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चारित्र चक्रवर्ती इन्द्रियों का पोषण करने वाली हीन प्रवृत्तियों को आदर्श मानने लगे हैं, क्योंकि पश्चिम की आधिभौतिक उन्नति देखकर ये चकित हो गये हैं और अपने आध्यात्मिक विचार तथा आचार को उपेक्षा योग्य सोचते हैं। श्रावकों का कर्तव्य है, कि सर्वज्ञ, वीतराग, तीर्थंकर परमदेव द्वारा प्रकाशित पथ पर प्रवृत्ति करें। कुछ क्षण पर्यन्त पूर्व पुण्योदय वश हीन प्रवृत्ति वालों की उन्नति भी दिखे, किन्तु क्षणिक जान मार्ग से भ्रष्ट नहीं होना चाहिए। हीन प्रवृत्ति सदा हीन ही रहेगी। - कवि का कथन है
कोटि जतन कोऊ करो, परैन प्रकृतहिं बीच।
नल बल जल ऊँचे चढ़े, तऊ नीच को नीच॥ आगम, युक्ति तथा अनुभव के प्रकाश में किया गया विवेचन समाज को सन्देहमुक्त करने में बड़ा उपयोगी रहा। अभाना से लगभग ६ मील पर पिपरिया ग्राम मिला। यहाँ जिनमन्दिर है। यहाँ तीस, चालीस व्यक्तियों ने हिंसा, मद्य, मांस का जीवन पर्यन्त त्याग किया। बड़े आनन्द वैभव के साथ भगवान् का अभिषेक तथा पूजन सम्पन्न हुए। यहाँ से तीन मील दूर बाँदकपुर ग्राम है। यहाँ समाज ने विमानोत्सव किया। नेमिसागर महाराज का केशलोंच हुआ। वहाँ से चलकर तिनगी ग्राम के जिनालय के दर्शन करके संघ पटेरा ग्राम में आया। दिव्यक्षेत्र कुण्डलपुर
यहाँ से अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर तीन मील लगभग है। यह बड़ा सुन्दर क्षेत्र है। ६४ जिनमन्दिर हैं। कुंडलाकृति पर्वत है। यात्रा बहुत सरल तथा सुखद है। यही बड़े बाबा भगवान् की पद्मासन प्रतिमा बड़ी भव्य, नयानाभिराम तथा प्रभावोत्पादक है। १४०० वर्ष प्राचीन है। ऊँचाई लगभग १२ फुट है। मूर्ति यक्ष यक्षी सहित है।
मूर्ति महावीर भगवान् की मूर्ति के नाम से प्रसिद्धि है, किन्तु मूर्ति के गोमुख यक्ष तथा चक्रेश्वरी यक्षी को देख आदिनाथ भगवान् की मूर्ति मानना चाहिए। मंदिर जी में सीधे हाथ की ओर दीवाल में कुछ प्राचीन मूर्तियाँ हैं। उनमें से दो मूर्तियाँ ऋषभनाथ भगवान् के वृषभ चिह्न युक्त हैं तथा वे बड़े बाबा की मूर्ति सदृश हैं। आदिनाथ भगवान् बड़े बाबा हैं ही, अतः बड़े बाबा नाम से उन्हें कहना उचित ही है।
ऐसी प्रसिद्धि है कि यवनराज औरंगजेब की क्रूर दृष्टि इस मूर्ति पर पड़ी और उसने इस मूर्तिध्वसं के लिये कर्मचारियों को आदेश दिया, किन्तु कुछ चामत्कारिक घटनाओं ने उस अत्याचारी शासक के अन्तःकरण में मूर्ति के प्रति आदर भाव जागृत कर दिया। ऐसी जन-श्रुति है, कि जब मूर्ति तोड़ने को अंगुली पर छैनी का निर्मम प्रहार हुआ तो मूर्ति से दुग्ध की धारा निकल पड़ी। इससे वह विस्मित हो गया था।
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