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___“बापजी बडी कृपा की आपने ! हमारे लिए आपके भेजे हुए बाल या वृद्ध कोई भी मुनि श्री गौतमस्वामीजी की बरोबर है। आपतो शासनके नायक है। आप जिसको भेजते होंगे वे हमारे प्रदेशमें फैल रहे पाखंड-मिथ्यात्व को दूर कर सके ऐसे ही भेजते होंगे। हमें तो आप पर पूरी श्रद्धा है।
માલવાન શ્રીસંઘે પૂ૦ ગચ્છાધિપતિશ્રી પાસે જ્ઞાનપૂજન કરી વાસક્ષેપ નંખાવી પૂજયશ્રી પાસે જઈ વંદના કરી વિનંતિ કરી કે –
" आप हमारे प्रदेश में जल्दी पधारो, और अज्ञान के अंधकारको हठाकर जिनशासनका प्रकाश फैलाओ। आप यहां से कब विहार करेंगे ?
और विहार में कोई जरुरत हो तो फरमावें, और हम उधरसे जानकार दो-चार श्रावकों को भक्ति के लिए भेजना चाहते हैं तो कब भेजे ?
पूज्यश्रीये ४युं 3-" पुष्यवानो! शासनकी महिमा अपार है, देबगुरुकृपासे पू. गच्छाधिपतिने अनेक दूसरे समर्थ साधुओंके होते भी मुज बाल पर यह जो भार रक्खा हैं सोच-समज कर ही रकखा होगा। मैं तो गुरु-चरणोंका सेवक हुँ । शासनदेव सहाय करेगा हीं ! में यहांसे फा. शु. २ को बिहार करना चाहता हुँ ! विहारमें कोई जरुरत नहीं! यहांसे गोधरा तक तो श्रावकांके घर हे ही ! उसके बाद शायद जरुर पडे, युं कि गोधराके बाद विकट जंगल भी है, तो श्रावकोको गोधरे ही भेजे तो ठीक ! कयोंकि चैत्री ओली गोधरामें करनेका विचार हे ।
માલવાના શ્રી સંઘે ફરીથી જ્ઞાનપૂજન કરી વાસક્ષેપ
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