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पूज्य श्रीयो उडे - महानुभावो ! आप कहते हैं जो ठीक है ! किंतु अभी प्राथमिक शाला में ये लोग भरती हुए हैं ! अभी कुछ दिन इन्हें पूरी तरह से अभ्यास करने दो, वडी दीक्षा कोई मामूली चीज नहीं ! आप लोगों की निगाहमें यह छोटी दीक्षा बडे महत्वकी है ! क्यों कि आप लोंगोंका मोहमायाना बंधन छूटना आसान नहीं !
किंतु हमारे लिए तो शास्त्रकारोंका निर्देश है कि
छोटी दीक्षा के बाद छ- काय की जयणा, पांच समिति तीन, गुप्तिका पालन - जयणा का पूरा ख्याल, आहार-विहारादि में साधुताका अभ्यास, और साधु-चर्या पूरी तरहसे नव दीक्षित आत्मसात् कर ले फिर योग्यता की जाँच के बाद पंच महाव्रतरूप वडी दीक्षा योग्य, क्षेत्र -शुद्धि एवं पंचांगशुद्धि तथा ग्रहोंका विशिष्ट बल आदि देखकर दी जाती है इस सें उतावल ठीक नहीं !!!
८.
अभी वडी दीक्षा का मुहूर्त है भी नहीं ! वैशाख में अच्छा दिन आता है, तब तक नूतन - दीक्षितोको साधु-चर्यांका ठीक ढंगसे आसेवन करने दो महि
દીક્ષાથી આના સ’મ'ધીએ આ વાત સાંભળી વિનીતभावे मोहया -
बापजी सा. ! इनसब वातो थी ताक्रे मीं कांई जाणाँ ? परंतु बापजी ! वैशाख में पधारों पडेला, मी फिर से आपके पास आवांगा ही ! पर आप मांकी बात ज़रूर ध्यान में रखना "
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