________________
१२
हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन [प्रथम प्रकरण हिन्दूलों का अदालतों से सम्बन्ध अदालतै कानूनका नाम | विषय १-कलकत्ता, मदरास, गवर्नमेन्ट आव इंडि| उत्तराधिकार, जमीन, किराया और मालकी बम्बई हाईकोर्टों के या ऐक्ट सन१६१५६० वरासत और पक्षकारोंके व्यापार सम्बन्धी ओरिजिनल सिविल की दफा ११२ ( 5, 6 | सब कंट्राक्ट । जुरिस्डेक्डन Geo bCh 1) २-प्रेसीडेन्सी खफी- ऐक्ट नं०१५सन१८८२ प्रत्येक प्रेसीडेन्सीमें, प्रेसीडेन्सीकी खफीका फाकी अदालतें ई०की दफा १६ की अदालतों द्वारा प्रयोगनीय कानून वही
कानून है जो उस प्रेसीडेन्सीके हाई कोर्ट द्वारा उसके साधारण ओरिजिनल सिविल
जुरिस्डेक्शन में प्रयोग किये जाते है। ३-लयुक्त,बङ्गाल और ऐक्ट नं०१२ सन१८८७/ बरासत, उत्तराधिकार, विवाह, जाति या
आसामुकी प्रांतीय | ईकी दफा ३७ | कोई धार्मिक रवाज या संस्था । अदालते ४-बम्बई प्रांत की रेगुलेशन नं०४ सन | यह रेगुलशन किसी खास विषयको नहीं अदालतें
१८२७ई०की दफा २६ / निर्दादित करता। ५-मदरास प्रान्त की ऐक्ट नं०३ सन१८७३ | वरासत, उत्तराधिकार, विवाह, जाति या अदालतें
ई०की दफा १६ धार्मिक रवान या संस्था। ६-पजाबकी अदालतें ऐक्ट नं०४ सन१८७२/ बरासत, स्त्रियोंकी खास सम्पति, मंगनी,
ई०की दफा ५ जो | विवाह, तलाक, दान, दत्तक, बलायत, ऐक्ट ने० १२ सन नावालिगी, पारिवारिक सम्बन्ध, वसीयत, १८७८ ई०सेसंशोधि- | धर्मादे, बटवारा या कोई धार्मिक रवान या त हुआ है
संस्था । ७-अवधकी अदालतें ऐक्ट नं० १८ सन ।
उक्तंच १८७६ई० की दफा ३ ८-अजमेर और मे- रेगुलेशन नं० ३ सन
उक्तंच वाड़की अदालतें १८७७ ई०की दफा ७ ६-मध्य प्रदेश की ऐक्ट नं१२० सन१८७५ उपरोक्त सब मामलों में तलाक छोड़कर
अदालतेई की दफा ५ १०-बरमाकी अदालतें ऐक्ट नं०१३सन१८१८ वरासत, उत्तराधिकार, विवाह, या धार्मिक
ई०की दफा १३ रवाज या संस्था। यद्यपि इस नशे के नं. १ में विवाह या धार्मिक संस्थाओंका वर्णन नहीं किया गया है परन्तु 5 Bom 154, 167, 170 में माना गया है कि हाईकोर्ट उन सब मामलोंमें हिन्दूला के अनुसार विचार करता है । उपरोक्त कानूनोंमें से कुछ अदालतें हिन्दूला को उन मामलों में लागू करती है जिनमें मुद्दालेह हिन्दू हो और कुछ में जब दानों हिन्दू हो ।