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अध्याय दूसरा ।
मुनि देवेंद्रकीर्ति तशिष्य श्री विद्यानंदीदेवा रुपदेशात् श्री हुबड वंश शाह खेता भार्या रुड़ी तयोः पुत्र शा राजा भार्या गौरी द्वितीय गणी तयोः तु० अदा वदा राजा भ्रात्री रुपाणा भार्या अणसु तयों पुत्रौ सदा मलीदास एतेषां मध्ये राजा भग्नी राणी श्रेया चतुर्किशतिका करापिता।"
पाषाणकी चौवीसी प्रतिमा । "संवत Z७५ माघ वदी ५ श्रीदोशी लाड हेत्र हुलाका माना दुतीय प्रणमंति।"
यह प्रतिमा बहुत प्राचीन मालूम पडती है। संवतका निश्चय नहीं हो सकता तंवतके अंक तीनठी हैं ।
धातुकी प्रतिमा । "सं० १४२९ वर्षे श्रीमूलसंधे श्री स० गच्छे श्री विद्यानंदी गुरूपदेशात् सिंधपुरा ज्ञातिय श्रेष्ठी पासा भार्या ऐभू पुत्र दामोदर सानवाल श्रीपति श्री आदिनाथ कारापिता ।"
आदिनाथ स्वामीकी धातुकी प्रतिमा । “सं० १३८० वर्ष वैशाख सुदी १२ सनौ श्री प्रवरसेन देव उपदेशेन सं० खंडी बाला देव साखे एषज सुत धीजासा माकौसा तत्परिदारण प्रणमति ।"
सिद्धयंत्र । "सं० १५०४ वर्षे फाल्गुण सुदी ११ गुरौ श्री गांधार वेला कुले श्री आदिश्वर जिनालये श्री मूल सं० ब० स० गच्छे श्री कु० श्री पद्मनंदी देवा तत्पट्टे श्री सकलकीर्ति देवा तत्शिष्य श्री भुवनकीर्तिदेवन एनेदं श्री सिद्ध........श्री हमडज्ञातीय श्री सुग्राम भार्याहणि जंत्र नित्यं प्रणमति ।"
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