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११२. [ प्र. ] अणागारोवउत्ता णं भंते! जीवा किं नाणी, अण्णाणी ?
[उ. ] पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए ।
११३. एवं चक्खुदंसण - अचक्खुदंसण अणागारोवउत्ता वि, नवरं चत्तारि णाणाई, तिण्णि अण्णाणाई
भयणाए ।
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११४. [ प्र. ] ओहिदंसणअणागारोवउत्ता णं पुच्छा ।
[उ. ] गोयमा ! नाणी वि अण्णाणी वि । जे नाणी ते अत्थेगइया तिन्नाणी, अत्थेगइया चउनाणी । जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियणाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी । जे चउणाणी ते आभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवनाणी । जे अन्नाणी ते नियमा तिअण्णाणी, तं जहा - मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभंगनाणी । ११४. [ प्र. ] भगवन् ! अवधिदर्शन-अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं अथवा अज्ञानी ?
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११२. [ प्र. ] भगवन् ! अनाकारोपयोग (दर्शनोपयोग) वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ?
[ उ. ] गौतम ! अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं । उनमें पाँच ज्ञान अथवा 5 तीन अज्ञान भजना से पाये जाते हैं।
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११३. इसी प्रकार चक्षुदर्शन और अचक्षुदर्शन- अनाकारोपयोगयुक्त जीवों के विषय में समझ लेना 5 चाहिए; किन्तु इतना विशेष है कि चार ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से होते हैं।
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112. [Q.] Bhante ! Are jivas with anaakaar upayoga (darshanopayoga 5 or perceptive involvement) jnani or ajnani?
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[Ans.] Gautam ! They are jnani as well as ajnani. Those with jnana 卐 have different alternative combinations of five jnanas or three ajnanas.
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113. The same is true for those with chakshu-darshan anaakaar फ upayoga (darshanopayoga or perceptive involvement related to visual perception) and achakshu-darshan anaakaar upayoga (darshanopayoga or perceptive involvement related to non-visual perception). The difference being that they have different alternative combinations of four jnanas or three ajnanas.
Bhagavati Sutra ( 3 )
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[ उ. ] गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी । जो ज्ञानी होते हैं, उनमें कई तीन ज्ञान वाले और कई चार ज्ञान वाले होते हैं। जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं और जो चार ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान से लेकर यावत् मनः 5 पर्यवज्ञान वाले होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं, उनमें नियमतः मति- अज्ञान, श्रुत- अज्ञान और विभंगज्ञान; तीन अज्ञान पाये जाते हैं ।
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14. [Q.] Bhante ! Now the same question about Avadhi-darshan 5 anaakaar upayoga (darshanopayoga or perceptive involvement related to extrasensory perception of the physical dimension)?
भगवती सूत्र (३)
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