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के साथ ६, शर्कराप्रभा के साथ ५, बालुकाप्रभा के साथ ४, पंकप्रभा के साथ ३, धूमप्रभा के साथ २ और तमः प्रभा के साथ १: इस प्रकार कुल मिलाकर २१ भंग होते हैं। दो नैरयिकों के असंयोगी ७ और द्विकसंयोगी २१, ये दोनों मिलाकर कुल २८ भंग (विकल्प) होते हैं।
Elaboration-Alternative combinations for entrance of two souls in the infernal realm-The total number of alternative combinations for entrance of two souls in the infernal realm is 28. (1) Of these seven are for two souls entering the same hell together. (2) Remaining twentyone alternative combinations are for each of the two entering a different hell at the same time. Of these six are for the first hell (Ratnaprabha Prithvi) five for the second, four for the third, three for the fourth, two for the fifth and one for the sixth. That means there are seven options for no alternative combination of two and twenty one for alternative combinations of two.
तीन नैरयिकों के प्रवेशनक भंग OPTIONS FOR THREE INFERNAL BEING
१८. [ प्र. ] तिणि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणए णं पविसमाणा किं रणयप्पभाए होज्जा जाव असत्तमाए होज्जा ?
[ उ. ] गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ।
(क) अहवा एगे रयणप्पभाए, दो सक्करप्पभाए होज्जा १ । जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, दो असत्तमाए होज्जा, २-३ - ४ - ५ - ६ | अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए होज्जा १ । जाव अहवा दो रयणप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, २-३-४-५-६ = १२ अहवा एगे सक्करप्पभाए, टो वायप्पभाए होज्जा १ । जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा, २-३-४-५ = १७ | अहवा दो सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा १ । जाव अहवा दो सक्करप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, २-३-४-५ = २२ । एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्वा, जाव अहवा दो तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ४-४, ३-३, २२, १–१ = ४२ ।
(ख) अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा १ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकष्पभाए होज्जा २ । जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगेसक्करपभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ३ - ४ - ५ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा ६ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा ७ । एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ८-९ । अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा १० | जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ११-१२ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा १३ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १४ ।
नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak: Thirty Second Lesson
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