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4 Purnabhadra Chaitya where Shraman Bhagavan Mahavir was staying i
He stood neither far nor near Bhagavan Mahavir and said -"A your disciples do, I do not move about independently (away from your school) as a chhadmasth (one who is short of omniscience due to residual karmic bondage) while I am still a chhadmasth. I am endowed with selfacquired omniscience (Keval-jnana) and ultimate perception (Kevaldarshan) and thus becoming an Arhat (Venerable), Jina (Conqueror of senses) and Kevali (Omniscient) I move about (independently) as an omniscient. (In other words, he conveyed that he had become an omniscient.) गौतम के प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ जमालि JAMALI FAILS TO ANSWER GAUTAM'S QUESTIONS _९९. तए णं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासि-णो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा 5
दसणे वा सेलंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिज्जइ वा णिवारिज्जइ वा। जइ णं तुम जमाली ! के उप्पन्नणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेणं अवक्कंते तो णं इमाई दो
वागरणाई वागरेहि, 'सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली ! सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे 卐 जमाली?
९९. इस पर भगवान गौतम ने जमालि अनगार से इस प्रकार कहा-हे जमालि ! केवली का ज्ञान 卐 या दर्शन पर्वत (शैल), स्तम्भ अथवा स्तूप (आदि) से अवरुद्ध नहीं होता और न इनसे रोका जा सकता है
है। तो हे जमालि ! यदि तुम उत्पन्न केवलज्ञान-दर्शन के धारक, अर्हत्, जिन और केवली होकर केवली रूप से विचरण कर रहे हो तो इन दो प्रश्नों का उत्तर दो-(१) जमालि ! लोक शाश्वत है या अशाश्वत है ? एवं (२) जमालि ! जीव शाश्वत है अथवा अशाश्वत है?
99. On hearing this, Bhagavan Gautam said to Jamali – “Jamali! The knowledge and perception of an omniscient is neither restricted nor i obstructed by anything including a mountain, a pillar or a memorial
mound (stupa). So, Jamali, if you are endowed with self-acquired omniscience (Keval-jnana) and ultimate perception (Keval-darshan) and thus becoming an Arhat (Venerable), Jina (Conqueror of senses) and ___Kevali (Omniscient) you move about (independently) as an omniscient, then answer my two questions - (1) Jamali! Is the universe (Lok) eternal or transient?' and (2) Jamali! Is the soul (jiva) eternal or transient?'
१००. तए णं से जमाली अणगार भगवया गोयमेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावने जाए यावि होत्था, णो संचाएइ भगवओ गोयमस्स किंचि वि पमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीए संचिट्ठइ।
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भगवती सूत्र (३)
(492)
Bhagavati Sutra (3)
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