Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 590
________________ ॐ जीवों की परस्पर श्वासोच्छ्वास सम्बन्धी प्ररूपणा RESPIRATION OF LIVING BEINGS ९. [प्र. ] पुढविकाइये णं भंते ! पुढविकायं चेव आणमति वा पाणमति वा ऊ ससति वा नीससति 卐 वा? [उ. ] हंता, गोयमा ! पुढविक्काइए पुढविक्काइयं चेव आणमति वा जाव नीससति वा। ९. [प्र. ] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव, पृथ्वीकायिक जीव को आभ्यन्तर और बाह्य श्वासोच्छ्वास म के रूप में ग्रहण करता है और छोड़ता है ? है [उ. ] हाँ, गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव, पृथ्वीकायिक जीव को आभ्यन्तर और बाह्य श्वासोच्छ्वास 卐 के रूप में ग्रहण करता है और छोड़ता है। 5 9. [Q.Bhante ! Do earth-bodied beings (prithvikayik jiva) inhale and exhale or take in and put out other earth-bodied beings during or as a part of their respiration ? ____ [Ans.] Yes, Gautam ! Earth-bodied beings (prithvikayik jiva) do inhale and exhale or take in and put out other earth-bodied beings during or as a part of their respiration. म १०. [प्र. ] पुढविक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं आणमति वा जाव नीससति वा ? [ उ. ] हंता, गोयमा ! पुढविक्काइए आउक्काइयं आणमति वा जाव नीससति वा। १०. [प्र. ] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव, अप्कायिक जीव को यावत् श्वासोच्छ्वास के रूप में + ग्रहण करता और छोड़ता है ? ॐ [उ. ] हाँ, गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव, अप्कायिक जीव को (आभ्यन्तर और बाह्य श्वासोच्छ्वास 卐 के रूप में) ग्रहण करता और छोड़ता है। 5i 10. IQ.] Bhante ! Do earth-bodied beings (prithvikayik jiva) inhale and 卐 exhale ... and so on up to... water-bodied beings (apkayik jiva) during respiration ? 4 (Ans.) Yes, Gautam ! Earth-bodied beings (prithvikayik jiva) do inhale ! and exhale ... and so on up to... water-bodied beings during respiration. ॐ ११. एवं तेउक्काइयं वाउक्काइयं। एवं वणस्सइकाइयं। ११. इसी प्रकार तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक जीव को भी यावत् ग्रहण करता 卐 और छोड़ता है। 11. In the same way they inhale and exhale fire-bodied (tejaskayik), \i air-bodied (vayukayik) and plant-bodied (vanaspatikayik) beings. Lurrir er rir भगवती सूत्र (३) (510) Bhagavati Sutra (3) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664