Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 593
________________ B95555555555555555555555555555 %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% १९. एवं आउक्काइएण वि सव्वे वि भाणियव्वा। १९. इसी प्रकार अप्कायिक जीवों के साथ भी पृथ्वीकायिक आदि सभी का कथन करना चाहिए। 19. In the same way repeat with regard to water-bodied beings for exhaling and inhaling earth-bodied beings and others. २०. एवं तेउक्काइएण वि। २०. इसी प्रकार तेजस्कायिक के साथ भी पृथ्वीकायिक आदि का कथन करना चाहिए। 20. In the same way repeat with regard to fire-bodied beings for exhaling and inhaling earth-bodied beings and others. २१. एवं वाउक्काइएण वि। २१. इसी प्रकार वायुकायिक जीवों के साथ भी पृथ्वीकायिक आदि का कथन करना चाहिए। 21. In the same way repeat with regard to plant-bodied beings for exhaling and inhaling earth-bodied beings and others. २२. [प्र. ] वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे वा० ? पुच्छा। [उ.] गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। २२. [प्र. ] भगवन् ! वनस्पतिकायिक जीव, वनस्पतिकायिक जीवों को आभ्यन्तर और बाह्य + श्वासोच्छ्वास के रूप में ग्रहण करते और छोड़ते हुए कितनी क्रिया वाले होते हैं ? [उ. ] गौतम ! कदाचित् तीन क्रिया वाले, कदाचित् चार क्रिया वाले और कदाचित् पाँच क्रिया है वाले होते हैं। 22. Bhante ! When plant-bodied beings (vanaspatikayik jiva) inhale and exhale other plant-bodied beings (vanaspatikayik jiva) during their respiration, in how many activities (kriya) are they involved ? (Ans.) Gautam ! They are involved sometimes in three, sometimes in 4 four and sometimes in five activities. विवेचन : श्वासोच्छ्वास में क्रिया-प्ररूपणा-पृथ्वीकायिकादि जीव पृथ्वीकायिकादि जीवों को श्वासोच्छ्वास रूप में ग्रहण करते हुए, छोड़ते हुए, जब तक उनको पीड़ा उत्पन्न नहीं करते, तब तक (१) कायिकी, (२) आधिकरणिकी, (३) प्राद्वेषिकी; तीन क्रियाएँ लगती हैं, जब पीड़ा उत्पन्न करते हैं तब पारितापनिकी सहित चारक क्रियाएँ लगती हैं और जब उन जीवों का वध करते हैं तब प्राणातिपातिकी सहित पाँचों क्रियाएँ लगती हैं। Elaboration-Involvement in activity during respiration-While inhaling and exhaling earth-bodied and other beings during their respiration, as long as the earth-bodied beings (prithvikayik jiva) do not cause any pain to them they are involved in three activities-(1) kayiki नवम शतक : चौतीसवाँ उद्देशक (513) Ninth Shatak : Thirty Fourth Lesson 卐55555555))))5555555555555555555555555552 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664