Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 549
________________ B5FFFFFFFFFFF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。 )))))))))))) )))) 四F55 55555 5555555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FM 63. Now came and stood at the back of Kshatriya youth Jamali a well embellished and beautifully dressed noble lady, amply endowed with charm and qualities of youth and beauty, in a dancing posture carrying a 15 white umbrella that was adorned with garlands of Korant flowers as white as snow, silver, Kumud flower, Kunda flower and the moon. ६४. तए णं तस्स जमालिस्स उभयोपासिं दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारु जाव कलियाओ * नाणामणि-कणग-रयण-विमल-महरिह-तवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ संखंक-कुंदेंदु दगरय-अमयमहियफेणपुंजसनिकासाओ धवलाओ चामराओ गहाय सलीलं वीयमाणीओ वीयमाणीओ चिट्ठति। ६४. तदनन्तर जमालिकुमार के दोनों (दाहिनी तथा बाईं) ओर श्रृंगार के घर के समान, सुसज्जित ॐ सुन्दर वेश वाली यावत् रूप-यौवन के विलास से युक्त दो उत्तम तरुणियाँ हाथ में चामर लिए हुए लीला म सहित ढुलाती हुई खड़ी हो गईं। वे चामर अनेक प्रकार की मणियों, कनक (पीला सोना), रत्नों तथा ॥ विशुद्ध एवं महामूल्यवान् तपनीय (लाल स्वर्ण) से निर्मित उज्ज्वल एवं विचित्र दण्ड वाले तथा : ॐ चमचमाते हुए (देदीप्यमान) थे और शंख, अंकरत्न, कुन्द-(मोगरा के) पुष्प, चन्द्र, जलबिन्दु, मथे हुए + अमृत के फेन के पुँज के समान श्वेत थे। 64. After that came and stood on both flanks of Kshatriya youth Jamali two well embellished ... and so on up to... noble ladies, carrying whisks and waving them. The exquisite and glowing handles of these whisks were made of pure gold of immense value and studded with a 4 variety of gems and beads. The hair of these whisks were spotless white 4 like conch-shell, Anka gem, Kund (Mogra) flowers, the moon, drop of 4 water, and foam of churned nectar. ६५. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स उत्तरपुरथिमेणं एगा वरतरुणी सिंगारागार जाव के कलिया सेयं रयतामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकितिसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ। ६५. और फिर क्षत्रियकुमार जमालि के उत्तरपूर्व (ईशानकोण) में शृंगार के गृह के समान, उत्तम ऊ है वेश वाली यावत् रूप, यौवन और विलास से युक्त एक श्रेष्ठ तरुणी पवित्र (शुद्ध) जल से परिपूर्ण, के उन्मत्त हाथी के महामुख के आकार के समान श्वेत रजत-निर्मित कलश (शृंगार) (हाथ में) लेकर खड़ी हो गई। 65. Then came and stood, on the northeast of Kshatriya youth Jamali, 45 a well embellished ... and so on up to... noble lady, carrying a pure water filled pitcher made of white silver in the shape of the head of mad elephant. ६६. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणपुरस्थिमेणं एगा वरतरुणी सिंगारागार जाव 卐 कलिया चित्तं कणगदंड तालयंडं गहाय चिट्ठइ। )))))))))) 8555555555555555; नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक (475) Ninth Shatak : Thirty Third Lesson 05555555555555555555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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