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69. Being thus commissioned, one thousand youthful attendants were delighted and honoured. They took their bath and completed their ritual routines of awakening protective spirits, repentance for mistakes, offerings to gods, using auspicious things like curd, rice, mustard, grass, etc. Then they adorned themselves with similar ornaments and dresses and came to Kshatriya youth Jamali's father. They joined their palms, $i greeted him with hails of victory and submitted - "Beloved of gods! Please tell us what is to be done."
७०. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कोडुंबियवरतरुणसहस्सं एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! व्हाया कयबलिकम्मा जाव गहियनिज्जोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहह।
७०. तब क्षत्रियकुमार जमालि के पिता ने उन एक हजार तरुण सेवकों को इस प्रकार कहा-हे देवानुप्रियो! तुम स्नानादि करके यावत् एक सरीखे वेश में सुसज्ज होकर जमालिकुमार की शिविका को उठाओ।
70. Kshatriya youth Jamali's father said to those one thousand young attendants - “Beloved of gods! Take your bath ... and so on up to... wear uniforms and lift Kshatriya youth Jamali's palanquin."
७१. तए णं ते कोडुंबियपुरिसा (? तरुणा) जमालिस्स खत्तियकुमारस्स जाव पडिसुणेत्ता ण्हाया जाव गहियनिज्जोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहंति।
___७१. तब वे कौटुम्बिक तरुण क्षत्रियकुमार जमालि के पिता का आदेश शिरोधार्य करके स्नानादि म करके यावत् एक सरीखी पोशाक धारण किये हुए (उन तरुण सेवकों ने) क्षत्रियकुमार जमालि की शिविका उठाई।
71. The attendants accepted the order of Kshatriya youth Jamali's father. After taking bath ... and so on up to... wearing uniforms they lifted Kshatriya youth Jamali's palanquin.
७२. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुबीए संपट्ठिया, तं०-सोत्थिय सिरिवच्छ जाव दप्पणा। मतदणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं जहा उववाइए जाव गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुब्बीए संपट्ठिया।
एवं जहा उववाइए तहेव भाणियव्वं जाव आलोयं च करेमाणा 'जय जय' सदं च पउंजमाणा पुरओ + अहाणुपुब्बीए संपट्ठिया। तदणंतरं च णं बहवे उग्गा भोगा जहा उववाइए जाव महापुरिसवग्गुरा परिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ य मग्गओ य पासओ य अहाणुपुब्बीए संपट्ठिया।
७२. हजार पुरुषों द्वारा उठाई जाने योग्य उस शिविका पर जब जमालि क्षत्रियकुमार आदि सब ॐ आरूढ़ हो गये, तब उस शिविका के आगे-आगे सर्वप्रथम ये आठ मंगल अनुक्रम से चले, यथा-(१) +
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नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak: Thirty Third Lesson
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