Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 553
________________ 555555555555555555555555553 45 pair of white whisks, surrounded by four pronged army including great 4 warriors and soldiers riding elephants, horses and chariots as well as those walking on feet. ... and so on up to... followed Jamali, the Kshatriya youth. ७४. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ महं आसा आसव (वा) रा, उभओ पासिं + णागा णागवरा, पिट्ठओ रहा रहसंगेल्ली। ७४. साथ ही उस जमालि क्षत्रियकुमार के आगे बड़े-बड़े और श्रेष्ठ घुड़सवार तथा उसके दोनों बगल (पार्श्व) में उत्तम हाथी एवं पीछे रथ और रथसमूह चल रहे थे। 74. Ahead of Kshatriya youth Jamali were noble riders on excellent horses, on his flanks were best of elephants and on his rear came chariots. ७५. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अब्भुग्गयभिंगारे पग्गहियतालियंटे ऊ सवियसेतछत्ते ॐ पवीइसतसेतचामरबालवीयणीए सबिट्टीए जाव णादितरवेणं खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमज्झेणं जेणेव ॥ माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ७५. इस प्रकार (दीक्षाभिलाषी) क्षत्रियकुमार जमालि सर्व ऋद्धि सहित यावत् बाजे-गाजे के साथ (वाद्यों के निनाद के साथ) चलने लगा। उसके आगे कलश और ताड़पत्र का पंखा लिए हुए पुरुष चल रहे थे। उसके सिर पर श्वेत छत्र धारण किया हआ था। उसके दोनों ओर श्वेत चामर और छोटे पंखे 卐 बिंजाए जा रहे थे। [इनके पीछे बहुत-से लकड़ी, भाला, पुस्तक यावत् वीणा आदि लिए हुए लोग चल रहे थे। उनके पीछे एक सौ आठ हाथी आदि, फिर लाठी, खड्ग, भाला आदि, लिए हुए पदाति (पैदल चलने वाले)-परुष तथा उनके पीछे बहत-से यवराज. धनाढयं, यावत सार्थवाह प्रभति तथा बहुत-से म लोग यावत् गाते-बजाते, हँसते-खेलते चल रहे थे।] (इस प्रकार) क्षत्रियकुमार जमालि क्षत्रियकुण्डग्राम नगर के मध्य में से होकर जाता हुआ, ब्राह्मणकुण्डग्राम के बाहर जहाँ बहुशालक नामक उद्यान में श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे. उस ओर गमन करने लगा। 75. Thus moved the procession of Kshatriya youth Jamali (aspiring for initiation) accompanied with all the grandeur ... and so on up to... sound of musical instruments. Ahead of him moved attendants carrying urns and palm-leaf fans. He had a white umbrella over his head. He was being fanned with white whisks and small fans from both sides. (On the rear came many people carrying staffs, spears, books ... and so on up to... Veena (a stringed musical instrument). Behind them came one hundred eight elephants etc. followed again by people carrying staffs, swords, etc. and walking on feet. After them came many princes, wealthy people ... and so on up to... caravan chiefs and many other people singing and dancing.) Moving through the city of Kshatriyakund, the procession proceeded towards Bahushalak garden outside Brahman Kundagram 4 where Shraman Bhagavan Mahavir was stationed. )))))55555555555555555) 卐))))))))))))) नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक (479) Ninth Shatak : Thirty Third Lesson www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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