Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 548
________________ 27 5 5 55 5 55 5 5 5 7 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 2 60. After that Kshatriya youth Jamali, perfectly adorned with fourfold embellishments including hair adornments, dress, garlands and ornaments, rose from his throne. He then boarded the palanquin from the south (going around) and sat on the finest throne facing east. ६१. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ण्हाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरूहइ, सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे पासे भद्दासणवरंसि सन्निसण्णा । चिह्न ६१. फिर क्षत्रियकुमार जमालि की माता स्नानादि करके यावत् शरीर को अलंकृत करके हंस के ५ वाला पटशाटक लेकर दक्षिण की ओर से शिविका पर चढ़ी और जमालिकुमार की दाहिनी ओर श्रेष्ठ भद्रासन पर बैठी। 61. Then Kshatriya youth Jamali's mother, after taking her bath and so on up to... embellishing her body, took the silken cloth with swanemblem and boarded the palanquin from the left and sat on the throne to the right of Jamali. फ्रा ६२. तदनन्तर क्षत्रियकुमार जमालि की धायमाता ने स्नानादि किया, यावत् शरीर को अलंकृत करके रजोहरण और पात्र लेकर दाहिनी ओर से शिविका पर चढ़ी और क्षत्रियकुमार जमालि के बाईं ओर श्रेष्ठ भद्रासन पर बैठी । and ५ ६२. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाई व्हाया जाव सरीरा रयहरणं च पडिग्ग ५ गाय सीयं अणुष्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरूहइ, सीयं दुरूहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वामे पासे 5 भद्दासणवरंसि सन्निसणा । 62. Then Kshatriya youth Jamali's governess after taking her bath so on up to ... embellishing her body, took the ascetic-broom as well as the bowl and boarded the palanquin from the right and sat on the throne to the left of Jamali. ... ६३. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिट्ठओ एगा वरतरुणी सिंगारागारचासा संगय-गय जाव रूवजोब्वणविलासकलिया सुंदरथण० हिम- रयत- कुमुद - कुंदेंदुप्पगासं सकोरेंटमल्लदामं धवलं आयवत्तं गाय सलीलं धारेमाणी धारेमाणी चिट्ठा । भगवती सूत्र (३) ६३. फिर क्षत्रियकुमार जमालि के पृष्ठभाग में (पीछे) शृंगार की हुई सुन्दर वेश वाली, सुन्दर गति वाली, यावत् रूप और यौवन के विलास से युक्त तथा लावण्य, रूप एवं यौवन के गुणों से युक्त एक उत्तम तरुणी हिम (बर्फ), रजत (चाँदी), कुमुद, कुन्दपुष्प एवं चन्द्रमा के समान, कोरण्टक पुष्प की माला से युक्त, श्वेत छत्र ( आतपत्र) हाथ में लेकर लीलापूर्वक (नृत्य मुद्रा में ) धारण करती हुई खड़ी हुई। (474) Jain Education International For Private & Personal Use Only y y y Bhagavati Sutra (3) y 4 y h$$595 5 555595555 55 5552 또 फ्र फ्र फ्र 卐 • 5 5 5 5 55555 5 55 5555 5 5 55 55 5 5 55 5 5 5 5 5 555952 卐 www.jainelibrary.org

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