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19. After that Aryaa Chandana herself initiated, tonsured and taught
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her (ascetic discipline ). Like Brahman Rishabh-datt, Devananda ( newly 5 initiated ascetic) too accepted the religious discourse (related to ascetic conduct) and followed the instructions (of Aryaa Chandana )... and so on up to... sincerely indulged in ascetic-discipline.
२०. तए णं सा देवाणंदा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अंतियं सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई
अहिज्जइ । सेसं तं चैव जाव सव्वदुक्खप्पहीणा ।
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२०. तदनन्तर आर्या देवानन्दा ने आर्य चन्दना से सामायिक आदि ग्यारह अंगों का अध्ययन किया । विविध प्रकार के तप किये और अन्त में संल्लेखना - संथारा कर वह देवानन्दा आर्या सिद्ध, बुद्ध, फ मुक्त, परिनिर्वृत्त और समस्त दुःखों से रहित हुई ।
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20. Aryaa Devananda studied the eleven limbs (Anga) of the canon including Samayik under the tutelage of Aryaa Chandana. She observed a variety of austerities and in the end, after taking the ultimate vow, 5 Aryaa Devananda got perfected (Siddha), enlightened (buddha ), 5 liberated (mukta), free of cyclic rebirth (parinivrit), and ended all miseries.
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क्षत्रियकुमार
जमालि PRINCE JAMALI
२१. तस्स णं माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नामं नगरे होत्था ।
वण्णओ ।
जमालि - चरित
STORY OF JAMALI
२१. उस ब्राह्मणकुण्डग्राम नामक नगर से पश्चिम दिशा में क्षत्रियकुण्डग्राम नामक एक नगर था । उसका यहाँ वर्णन समझ लेना चाहिए।
21. To the west of that Brahman Kundagram there was a town called Kshatriya Kundagram. Description (as in Aupapatik Sutra).
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भगवती सूत्र (३)
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(444)
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२२. तत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नयरे जमाली नामं खत्तियकुमारे परिवसइ, अड्डे दित्ते जाव अपरिभूए 5 उष्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसतिबद्धेहिं नाडएहिंबरतरुणीसंपउत्तेर्हि उवनच्चिज्जमाणे उवनच्चिज्जमाने उवगज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे फ्र पाउस - वासारत्त - सरय- हेमंत - वसंत - गिम्हपज्जंते छप्पि उऊ जहाविभवेणं माणेमाणे, कालं गालेमाणे इट्ठे सद्द-फरिस - रस-रूब- गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ ।
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२२. उस क्षत्रियकुण्डग्राम नामक नगर में जमालि नाम का क्षत्रियकुमार रहता था। वह आढ्य
( समृद्धिशाली), दीप्त ( तेजस्वी) यावत् अपरिभूत ( प्रभावशाली ) था । उसके ऊँचे पुरसातों में मृदंग वाद्यों 5
Bhagavati Sutra (3)
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