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| चित्र - परिचय 20
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क्षत्रिय कुमार जमालि
एक बार भगवान महावीर वैशाली नगर के बहुशालक उद्यान में पधारे। उस नगरी में मालि नामक एक क्षत्रिय कुमार रहता था। जब उसे भगवान के पधारने का समाचार मिला
तो वह अलंकारों से विभूषित होकर, बहुत ही सुन्दर अश्वरथ पर चढ़कर, पूरे ठाट-बाट के साथ अपने दास, दासी, सुभट, अश्व, छत्र, रथ, आयुध, पथदर्शकों आदि से परिवृत भगवान के दर्शन के लिए गया ।
होकर
Illustration No. 20
बहुशालक उद्यान के पास पहुँचकर उसने भगवान को देखा और दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार किया । फिर रथ खड़ा करके नीचे उतरा और छत्र, जूते आदि सभी समवसरण के बाहर छोड़कर, एक पट्ट वाले वस्त्र का उत्तरासंग धारण करके, मस्तक पर दोनों हाथ
जोड़े भगवान के पास पहुँचा और भगवान को तीन बार वंदना-प्रदक्षिणा की। श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने जमालीकुमार को तथा उस महापरिषद् को धर्मोपदेश दिया।
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PRINCE JAMALI
Once Bhagavan Mahavir came to Bahushalak garden in Vaishali city. In this city lived a prince named Jamali. When he got the news of Bhagavan's arrival he came to pay homage to Bhagavan after embellishing himself with beautiful ornaments and riding an excellent chariot. He was accompanied by all his regalia slaves, servants, guards, horses, canopies, chariots armaments and onlookers.
- शतक 9, उ. 33
When he arrived at Bahushalak garden he saw Bhagavan and paid homage joining his palms. He then reigned the horses and stopped the chariot. Then he got down from the chariot and left his belongings including weapons and shoes there. He placed a single piece scarf on his shoulders. Jamali now placed his joined palms on his forehead and went near Shraman Bhagavan Mahavir. He moved around Bhagavan Mahavir three times and performed three-fold worship.
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-Shatak-9, lesson-33
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