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fi guru could conveniently pull out the remaining hair while performing fi the ritual of initiation. This was called hair trimming suited for renunciation. Atthapadalaaye pottiye - mouth-cover of eight-fold clothe.
५६. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ, म अग्गकेसे पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ, सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं 5 मल्लेहिं अच्चेति, अच्चित्ता सुद्धवत्थेणं बंधेइ, सुद्धवत्थेणं बंधित्ता रयणकरंडगंसि पक्खिवति, पक्खिवित्ता 9
हार-वारिधार-सिंदुवार-छिनमुत्तावलिप्पगासाई सुयवियोगदूसहाई अंसूई विणिम्मुयमाणी विणिम्मुयमाणी + एवं वयासी-एस णं अम्हं जमालिस्स खत्तियकुमारस्स बहूसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जण्णेसु य छणेसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सति इति कटु ओसीसगमूले टवेइ।
५६. इसके पश्चात् क्षत्रियकुमार जमालि की माता ने शुक्लवर्ण के या हंस-चिह्न वाले वस्त्र की चादर (शाटक) में उन अग्रकेशों को ग्रहण किया। फिर उन्हें सुगन्धित गन्धोदक से धोया, फिर प्रधान एवं श्रेष्ठ गन्ध (इत्र) एवं माला द्वारा उनका अर्चन किया और शुद्ध वस्त्र में उन्हें बाँधकर रत्नकरण्डक
(रत्नों के पिटारे) में रखा। इसके बाद जमालिकुमार की माता हार, जलधारा, सिन्दुवार के पुष्पों एवं ॐ टूटी हुई मोतियों की माला के समान पुत्र के दुःसह (असह्य) वियोग के कारण आँसू बहाती हुई इस म प्रकार कहने लगी-'ये (जमालिकुमार के अग्रकेश) हमारे लिए बहुत-सी तिथियों, पर्यों, उत्सवों और म
नागपूजादिरूप यज्ञों तथा (इन्द्र-) महोत्सवादिरूप क्षणों में क्षत्रियकुमार जमालि के अन्तिम दर्शनरूप 卐 होंगे (उसकी स्मृति के प्रतीक रहेंगे)।''-ऐसा विचार कर उन्हें अपने तकिये के नीचे रख दिया। '
56. Kshatriya youth Jamali's mother then collected the hair on a piece of cloth, white like a swan. After that she washed them with scented water and performed the adoration ritual with best of perfumes and garlands. Having done that she wrapped them in a clean cloth and placed them in a jewelry box. Then lamenting the intolerable agony of separation of her son, and shedding tears like a broken necklace, a stream of water, a garland of Sinduwar flowers and a string of beads, Kshatriya youth Jamali's mother said -- "These (hair of Jamali) will serve as symbols of the last beholding (or signs of the memory of the last meeting) on many dates (of occasions), festivals, celebrations, worships, sacrifices and ceremonies including those for Naag and Indra." With these words she placed the box under her pillow.
५७. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मा-पियरो दुच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं म रया-ति, दुच्च पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावित्ता जमालिं खत्तियकुमार सेयापीतएहिं कलसेहिं + ण्हाणेति, सेयापीतएहिं कलसेहिं पहाणेत्ता पम्हसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाइए गायाइं लूहेंति, सुरभीए ॐ गंधकासाइए गायाई लूहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिपति, गायाई अणुलिंपित्ता नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak : Thirty Third Lesson 555555555555555555555555555555555555
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