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)) ) ) ) )) ) ) )) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ))) In the same way alternative combinations for each following hell 1 should be made. ... and so on up to... three are born in the sixth hell y
(Tamah-prabha Prithvi) and one in the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi). (This way for the third hell there are 4 alternative combinations for sets of 1 and 3, 4 for sets of 2 and 2 and 4 for sets of 3 and 1 making a total of 12 alternative combinations. For the fourth hell there are 3 alternative combinations for sets of 1 and 3, 3 for sets of 2 and 2 and 3 4 for sets of 3 and 1 making a total of 9 alternative combinations. For the fifth hell there are 2 alternative combinations for sets of 1 and 3, 2 for sets of 2 and 2 and 2 for sets of 3 and 1 making a total of 6 alternative combinations. For the fifth hell there is 1 alternative combination for sets of 1 and 3, 1 for sets of 2 and 2 and 1 for sets of 3 and 1 making a total of 12 alternative combinations. All these make a total of 63 alternative combinations for sets of two.) त्रिकसंयोगी १०५ भंग 105 OPTIONS FOR SETS OF THREE
(ख) अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, दो वालुयप्पभाए होज्जा १। अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, दो पंकप्पभाए होज्जा २। एवं जाव एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, दो __ अहेसत्तमाए होज्जा ३-४-५। ___अहवा एगे रयण०, दो सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए होज्जा १। एवं जाव अहवा एगे रयण०, दो
सक्कर०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-३-४-५ = १०। ___अहवा दो रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए होज्जा १ = ११। एवं जाव अहवा दो रयण०,
एगे सक्कर०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५ = १५। अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, दो पंकप्पभाए ॥
होज्जा १ = १६। एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुय०, दो अहेसत्तमाए होज्जा २-३-४ = म १९। एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियजोगो तहा भाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए, एगे तमाए, 5 एगे अहेसत्तमाए होज्जा १०५।
१९. (ख) (त्रिकसंयोगी १०५ भंग)-(१) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो 5 बालुकाप्रभा में होते हैं। (२) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो पंकप्रभा में होते हैं। (३-४-५) इसी प्रकार यावत अथवा एक रत्नप्रभा में. एक शर्कराप्रभा में और दो अधःसप्तम-पथ्वी में होते हैं। (इस प्रकार १-१-२ के पाँच भंग हुए।)
(१) अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में होता है; (२ से ५) इसी ॥ प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में दो शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तम-पृथ्वी में होता है। इसी प्रकार १-२-१ के भी पाँच भंग हुए। (१) अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक
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(370)
Bhagavati Sutra (3)
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