Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 486
________________ )) ) )) ))) ) ))) )) ) 555555555555555555555555555 [उ. ] गांगेय ! वे भवनवासी देवों में होते हैं, अथवा वाणव्यन्तर देवों में होते हैं, या ज्योतिष्क देवों 卐 में होते हैं, अथवा वैमानिक देवों में होते हैं। अथवा एक भवनवासी देवों में होता है और एक वाणव्यन्तर देवों में होता है। जिस प्रकार तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक कहा, उसी प्रकार देव-प्रवेशनक भी कहना चाहिए, यावत् असंख्यात देव-प्रवेशनक तक कहना चाहिए। 44. (Q.) Bhante ! When two jivas (souls) enter the divine realm do they take birth among Bhavan-vaasi devs (abode-dwelling gods) etc.? [Ans.] Gangeya ! They both get born either among Bhavan-vaasi deus (abode-dwelling gods), Vanavyantar devs (interstitial gods), devs (stellar gods), or Vaimanik devs (celestial-vehicular gods). Or one is born among Bhavan-vaasi deus (abode-dwelling gods) and the other y among Vanavyantar deus (interstitial gods). As has been stated with regard to entrance among infernal beings, the same should be repeated for the entrance among divine beings ... and so on up to... entrance for 5 innumerable divine beings (asankhyat Dev-praveshanak). उत्कृष्ट रूप से देव-प्रवेशनक प्ररूपणा ALTERNATIVES FOR MAXIMUM NUMBER OF DIVINE BEINGS ४५. [प्र. ] उक्कोसा भंते ! पुच्छा। __[उ. ] गंगेया ! सवे वि ताव जोइसिएसु होज्जा। अहवा जोइसिय-भवणवासीसु य होज्जा। अहवा जोइसिय-वाणमंतरेसु य होज्जा। अहवा जोइसिय-वेमाणिएसु य होज्जा। ____ अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य होज्जा। अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य माणिएसु य होज्जा। अहवा जोइसिएसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा। ___ अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा। ४५. [प्र. ] भगवन् ! उत्कृष्ट रूप से देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए किन देवों में होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। [उ. ] गांगेय ! वे सभी ज्योतिष्क देवों में होते हैं। (क्योंकि ज्योतिष्क देव सबसे ज्यादा हैं) अथवा ज्योतिष्क और भवनवासी देवों में होते हैं, अथवा ज्योतिष्क और वाणव्यन्तर देवों में होते हैं, अथवा ज्योतिष्क और वैमानिक देवों में होते हैं। अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी और वाणव्यन्तर देवों में होते हैं, अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी और वैमानिक देवों में होते हैं, अथवा ज्योतिष्क, वाणव्यन्तर और वैमानिक देवों में होते हैं। __ अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी, वाणव्यन्तर और वैमानिक देवों में होते हैं। )) ) )) ))) )) ) )) ) ) भगवती सूत्र (३) (418) Bhagavati Sutra (3) क Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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