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went before Bhagavan Mahavir. The five codes being (1) discarding of things infested with living organisms (sachit) etc. as mentioned in the second chapter ( aphorism 14 of the fifth lesson) and so on up to ... commenced his threefold worship - physical, vocal, and mental. १२. तए णं सा देवाणंदा माहणी धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता ० बहुयाहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, 5 सचित्ताणं दव्वाणं विओसरणयाए १ अचित्ताणं दव्वाणं अविमोयणयाए २ विणयोणयाए गायलट्ठीए ३ चक्खुफासे अंजलिपग्गहेणं ४ मणस्स एगत्ती भावकरणेणं ५ । जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, 5 तेणेव उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उसभदत्तं माहणं पुरओ कट्टु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी णमंसमाणी अभिमुहा विणणं पंजलिउडा पज्जुवासइ ।
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१२. तदनन्तर वह देवानन्दा ब्राह्मणी भी धार्मिक उत्तम रथ से नीचे उतरी और अपनी बहुत-सी दासियों आदि यावत् महत्तरिका - वृन्द से परिवृत होकर श्रमण भगवान महावीर के सम्मुख पंचविध अभिगमपूर्वक जाने लगी। वे पाँच अभिगम इस प्रकार हैं - ( 9 ) सचित्त द्रव्यों का त्याग करना, ( २ )
अचित्त द्रव्यों का त्याग न करना, अर्थात् वस्त्र आदि को व्यवस्थित ढंग से धारण करना, (३) विनय से
शरीर को नीचे झुकाना, (४) भगवान के दृष्टिगोचर होते ही दोनों हाथ जोड़ना, (५) मन को एकाग्र करना। इन पाँच अभिग्रहों द्वारा जहाँ श्रमण भगवान महावीर थे, वहाँ वह आई और उसने भगवान को तीन बार आदक्षिण (दाहिनी ओर से) प्रदक्षिणा की, फिर वन्दन - नमस्कार किया । वन्दन - नमस्कार के ! बाद ऋषभदत्त ब्राह्मण को आगे करके अपने परिवार सहित शुश्रूषा करती हुई, नमन करती हुई, सम्मुख खड़ी रहकर विनयपूर्वक हाथ जोड़कर उपासना करने लगी।
12. Brahmani Devananda also alighted from the best religious carriage and surrounded by her numerous maids and attendants approached Shraman Bhagavan Mahavir observing the five codes of courtesy meant for a religious assembly (abhigam). The five codes being
(1) to discard things infested with living organisms (sachit; such as flowers, beetle-leaves etc.), (2) to carefully retain things free of living organisms (achit), (3) to place a one-piece shawl (uttariya) on shoulders, i (4) to join palms the instant the senior ascetics are seen, and (5) to focus attention. Concluding the five abhigams she came near Shraman Bhagavan Mahavir and starting from right (aadakshin) went around Bhagavan three times and paid homage and obeisance. She than stood with her family, facing Bhagavan, behind her husband, and commenced worship carefully listening, bowing her head, and humbly joining her y palms.
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भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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