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४२. [ प्र. ] भगवन् ! देव - प्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ?
[ उ. ] गांगेय ! वह चार प्रकार का कहा गया है - ( १ ) भवनवासी - देव - प्रवेशनक, (२) वाणव्यन्तर-देव-प्रवेशनक, (३) ज्योतिष्क - देव - प्रवेशनक, और (४) वैमानिक - देव - प्रवेशनक | 42. [Q.] Bhante ! How many types of Dev-praveshanak ( entrance into divine realm) are there ?
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[Ans.] Gangeya ! Dev-praveshanak ( entrance into divine realm) are said to be of four types - (1) Bhavan-vaasi Dev-praveshanak (entrance 卐 into the realm of abode-dwelling gods), (2) Vanavyantar Devpraveshanak (entrance into the realm of interstitial gods), (3) Jyotishk 5 Dev-praveshanak ( entrance into the realm of stellar gods), and (4) Vaimanik Dev-praveshanak (entrance into the realm of celestialvehicular gods).
[ उ. ] गंगेया ! भवणवासीसु वा होज्जा वाणमंतर - जोइसिय- वेमाणिएसु वा होज्जा ।
४३. [ प्र. ] भगवन् ! एक देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ क्या भवनवासी देवों में होता है, वाणव्यन्तर देवों में होता है, ज्योतिष्क देवों में होता है अथवा वैमानिक देवों में होता है ?
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४३. [ प्र. ] एगे भंते ! देवे देवपवेसणए णं पविसमाणे किं भवणवासीसु होज्जा 5 वाणमंतर - जोइसिय- वेमाणिएसु होज्जा ?
[ उ. ] गांगेय ! एक देव, देव- प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ, भवनवासी देवों में होता है, 5 अथवा वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क अथवा वैमानिक देवों में होता है।
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[Ans.] Gangeya ! It either gets born among Bhavan-vaasi Devs (abode-dwelling gods), or Vanavyantar Devs (interstitial gods), or Jyotishh Devs (stellar gods), or Vaimanik Devs (celestial-vehicular gods).
४४. [ प्र. ] दो भंते ! देवा देवपवेसणए० पुच्छा ।
[ उ. ] गंगेया ! भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमंतर - जोइसिय- वेमाणिएसु वा होज्जा | अहवा एगे भवणवासीसु, एगे वाणमंतरेसु होज्जा । एवं जहा तिरिक्खजोणियपवेसणए तहा देवपवेसणए वि भाणियव्वे जाव असंखिज्जत्ति ।
43. [Q.] Bhante ! When one jiva (soul) enters the divine realm does he take birth among Bhavan-vaasi devs (abode-dwelling gods), Vanavyantar 5 devs (interstitial gods), Jyotishk devs (stellar gods), or Vaimanik devs (celestial-vehicular gods)?
४४. [प्र.] भगवन् ! दो देव, देव-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या भवनवासी देवों में, इत्यादि ( पूर्ववत्) प्रश्न |
नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak: Thirty Second Lesson
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