Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 502
________________ 955555555555555555555555555555555556 चित्र-परिचय 19, Illustration No. 19 ऋषभदत्त और देवानंदा एक बार भगवान महावीर क्षत्रिय कुंड में पधारे तब ब्राह्मण कुंड निवासी ऋषभदत्त ब्राह्मण और देवानंदा ब्राह्मणी भगवान के दर्शन के लिये समवसरण में आये। भगवान को देखते ही माता देवानंदा के नेत्र आनन्द अश्रुओं से भीग गये। वे इतनी प्रफुल्लित हुई कि उनकी भुजाओं और बाजुबन्दों के कड़े तंग । हो टूटकर धरती पर गिर गये। उनके शरीर का रोम-रोम हर्ष से नाच उठा और वात्सल्यता के कारण उनके , स्तनों से दूध की धाराएँ बहने लगीं। वे भगवान महावीर को अनिमेष दृष्टि से निहारने लगीं। गौतम स्वामी भगवान के पास ही विराजित थे। उन्होंने यह दृश्य देखा। ब्राह्मण दम्पत्ति के जाने के पश्चात् उन्होंने भगवान से पूछा-हे भगवन् ! इस देवानंदा ब्राह्मणी को किस प्रकार पाना चढ़ा? (स्तनों में से दूध क्यों आ गया?) भगवान महावीर स्वामी ने कहा-गौतम ! ये मेरी माता हैं। मैं इनका आत्मज हूँ। इसलिए पुत्र-स्नेहानुराग से ये इतनी रोमांचित हो गई कि इनको पाना चढ़ आया। ऋषभदत्त और देवानंदा ने भगवान की देशना सुनी और उन्हें वैराग्य उत्पन्न हो गया। उन्होंने भगवान के पास दीक्षा ग्रहण की और ज्ञान, ध्यान, तप द्वारा आत्मा को भावित करके उसी भव में मोक्ष गये।। - शतक 9, उ. 33 055555555555555555555555555555555555555555555)) RISHABH-DATT AND DEVANANDA Once when Bhagavan Mahavir arrived in Kshatriyakund, Rishabh-datt Brahmin and his wife Devananda came to the Samavasaran to pay homage. When she saw Bhagavan eyes of Devananda got wet with tears. Her arms swelled due to excess of joy and her armlets broke and fell. All body-hair danced with joy and due to upsurge of motherly affection she had a natural flow of milk in her breasts. She steadily stared at $i Bhagavan Mahavir. Gautam Swami was sitting near Bhagavan and he saw all this. After the Brahmin couple left Gautam asked Bhagavan, “Bhante! Why is there ooze of milk from the breasts of this Brahmani Devananda?" Bhagavan Mahavir replied - "O Gautam! Brahmani Devananda is my mother. I am Devananda's son. That is why out of the natural love for her son there is ooze of milk.” Rishabh-datt and Devananda listened to Bhagavan's sermon and got detached. They got initiated and enkindled their souls by study, meditation and unique austerities. They got liberated in that very birth. -Shatak-9, lesson-33 Rh 0955555555555555555555555555555550 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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