Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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In the same way, like alternative combinations for three infernal
beings in sets of three, alternative combinations for four infernal beings 卐 in sets of three should be mentioned... and so on up to... two in the fifth hell (Dhoom-prabha Prithvi), one in the sixth hell (Tamah-prabha 卐 Prithvi) and one in the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi ). All these f 5 make a total of 105 alternative combinations for sets of three.)
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चतुः संयोगी ३५ भंग 35 ALTERNATIVES FOR SETS OF FOUR
१९. (ग) अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकष्पभाए होज्जा १। अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे धूमप्पभाए होज्जा २ । अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे तमाए होज्जा ३ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४ | अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए होजा १ = ५ | अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा २ - ६ | अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३-७ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १ = ८ अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे असत्तमाए होज्जा २ - ९ । अहवा एगे रयण०, एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १ = १०। अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए होज्जा १-११ । अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे तमाए होज्जा २ - १२ । अहवा एगे रयण०, वालु०, गे 5 पंक०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३ -१३ | अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १ - १४ | अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-१५।
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5 अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १ - १६ । अहवा एगे रयण०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १-१७ | अहवा एगे रयण०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २- १८ | अहवा एगे रयण०, एगे पंक०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १ - १९ । अहवा एगे रयण०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १ - २० । अहवा एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए होज्जा १ - २१ । एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाओ चारियव्वाओ जाव अहवा एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १० - ३० । अहवा एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १ - ३१ | अहवा एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २ - ३२ | अहवा एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३ - ३३ | अहवा एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४-३४ । अहवा एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे असत्तमाए होज्जा १ - ३५ ।
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१९. ( ग ) ( चतुः संयोगी ३५ भंग - ) (१) अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है । (२) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक
भगवती सूत्र (३)
(372)
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Bhagavati Sutra ( 3 )
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