Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 474
________________ क ) ) )) ) )) )) ) ))) )) ) ) ) )) ) ज (ग) (चतुःसंयोगी २० भंग-) (१) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और पंकप्रभा में होते हैं। (२) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं। यावत् (४) अथवा ॐ रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (५) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, के पंकप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं। रत्नप्रभा को न छोड़ते हुए जिस प्रकार चार नैरयिक जीवों के चतुः संयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए। यावत् (२०) अथवा रत्नप्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (घ) (पंचसंयोगी १५ भंग-) (१) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं। (२) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और तमःप्रभा में होते हैं। (३) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (४) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, धूमप्रभा और तमःप्रभा में होते हैं। रत्नप्रभा को न छोड़ते हुए जिस प्रकार ५ नैरयिक जीवों के पंचसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए। अथवा यावत् ॥ (१५) रत्नप्रभा, पंकप्रभा यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (च) (षट्संयोगी ६ भंग-) (१) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् धूमप्रभा और तमःप्रभा में होते फ़ हैं। (२) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् धूमप्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (३) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् पंकप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (४) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (५) अथवा रत्नप्रभा, 5 शर्कराप्रभा, पंकप्रभा, यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (६) अथवा रत्नप्रभा, बालुकाप्रभा यावत् - अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (छ) (सप्तसंयोगी एक भंग-) (१) अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, यावत् अधः सप्तम-पृथ्वी में होते हैं। इस प्रकार उत्कृष्ट पद के सभी मिलकर चौंसठ (६ + १५ + २० + १५ + ६ ॐ + १ = ६४ भंग होते हैं। 28. [Q.] Bhante ! When maximum (utkrisht) number of jivas (souls) enter the infernal realm do they get born in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) or the second hell (Sharkaraprabha Prithvi) or ... and so on up ___to... the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi)? (a.] Gangeya ! Either all maximum (utkrisht) number of jivas get born in the first hell. (a) 6 alternative combinations for sets of two-Or (1) in the first 45 ____hell (Ratnaprabha Prithvi) and the second hell (Sharkaraprabha ___Prithvi). Or (2) in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) and the third hell (Balukaprabha Prithvi). ... and so on up to... (3-6) in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) and the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi). (b) 15 alternative combinations for sets of three-Or (1) in the $i first hell (Ratnaprabha Prithvi), the second hell (Sharkaraprabha नागा1119955555555555555 听听听听听听听听听。 | भगवती सूत्र (३) (406) Bhagavati Sutra (3) B 555555555555555555555555555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664