Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 482
________________ 555555555555555555555555555555555551 A听听听听听听听听听 55EEEEEE IF IF IrII-" ३७. [प्र. ] भगवन् ! दो मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या सम्मूर्छिम मनुष्यों * में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि (पूर्ववत्) प्रश्न। म [उ. ] गांगेय ! दो मनुष्य या तो सम्मूर्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भज मनुष्यों में होते हैं। अथवा एक सम्मूर्छिम मनुष्यों में और एक गर्भज मनुष्यों में होता है। इस क्रम से जिस प्रकार ॐ नैरयिक-प्रवेशनक कहा, उसी प्रकार मनुष्य-प्रवेशनक भी कहना चाहिए। यावत् दस मनुष्यों तक कहना चाहिए। 37. (Q.) Bhante ! When two jivas (souls) enter the human genus do they take birth among humans of asexual origin or those of placental 3 origin ? (and other questions) 5 (Ans.) Gangeya ! They both get born either among humans of asexual origin or those of placental origin. Or one is born among humans of asexual origin and the other among those of placental origin. As has been stated with regard to entrance among infernal beings, the same should be repeated for the entrance among human beings ... and so on up to... entrance for ten human beings. ३८. [प्र. ] संखेज्जा भंते ! मणुस्सा० ? पुच्छा। ॐ [उ. ] गंगेया ! सम्मुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा। अहवा एगे सम्मुच्छिममणुस्सेसु होज्जा, संखेज्जा गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा। अहवा दो सम्मुच्छिममणुस्सेसु होज्जा, संखेज्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा। एवं एक्केक्कं ओसारितेसु जाव अहवा संखेज्जा सम्मुच्छिममणुस्सेसु होज्जा, संखेजा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा। ॐ ३८. [प्र. ] भगवन् ! संख्यात मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए सम्मूर्छिम मनुष्यों 卐 में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। 3 [उ. ] गांगेय ! वे सम्मूर्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भज मनुष्यों में होते हैं। अथवा एक 卐 सम्मूर्छिम मनुष्यों में होता है और संख्यात गर्भज मनुष्यों में होते हैं। अथवा दो सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं और संख्यात गर्भज मनुष्यों में होते हैं। इस प्रकार उत्तरोत्तर एक-एक बढ़ाते हुए यावत् संख्यात ॐ सम्मूर्छिम मनुष्यों में और संख्यात गर्भज मनुष्यों में होते हैं। + 38. [Q.] Bhante ! When countable (sankhyat) jivas (souls) enter the human genus do they take birth among humans of asexual origin or those of placental origin ? (and other questions) [Ans.) Gangeya ! All the countable jivas together get born either li among humans of asexual origin or those of placental origin. Or one is 4 born among humans of asexual origin and countable among those of 4 placental origin. In this sequence keep on adding one human being ... 卐 and so on up to... Or countable are born among humans of asexual origins 41 and countable among those of placental origin. 5 origin 20 birth am sankhyat) 459595555555 牙牙牙牙 भगवती सूत्र (३) (414) Bhagavati Sutra (3) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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