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म २०. (ख) (पाँच नैरयिकों के त्रिकसंयोगी २१० भंग-) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में 5 है और तीन बालुकाप्रभा में होते हैं। इसी प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और 卐 तीन अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (इस प्रकार एक, एक और तीन के रत्नप्रभा-शर्कराप्रभा के साथ
संयोग से पाँच भंग होते हैं।) अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और दो बालुकाप्रभा में होते हैं। ॐ इसी प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और दो अधःसप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (इस
प्रकार एक, दो, दो के संयोग से पाँच भंग होते हैं।) अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो - बालुकाप्रभा में होते हैं। इस प्रकार यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो अधः ॐ सप्तम-पृथ्वी में होते हैं। (यों दो, एक, दो के संयोग से पाँच भंग होते हैं।) अथवा एक रत्नप्रभा में, तीन फ़
शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में होता है। इसी प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, तीन ॐ शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तम-पृथ्वी में होता है। (इस प्रकार एक, तीन, एक के संयोग से पाँच ॐ भंग होते हैं।) अथवा दो रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में होता है। इसी प्रकार
यावत् दो रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तम-पृथ्वी में होता है। (इस प्रकार दो, दो, फ़ एक के संयोग से पाँच भंग हुए।) अथवा तीन रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में + होता है। इस प्रकार यावत् तीन रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तम-पृथ्वी में होता है। ॐ (यों ३-१-१ के संयोग से ५ भंग होते हैं।) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और तीन म पंकप्रभा में होता है। इस क्रम से जिस प्रकार चार नैरयिकों के त्रिकसंयोगी भंग जानना चाहिए। विशेष
यह है कि वहाँ 'एक' संचार था उसके स्थान पर। यहाँ दो का संचार करना चाहिए। शेष सब पूर्ववत् फ जान लेना चाहिए। यावत् अथवा तीन धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तम पृथ्वी में होता
है; यहाँ तक करना चाहिए। fi 20. (b) Or one in the first hell (Ratnaprabha Prithvi), one in the 16
second hell (Sharkaraprabha Prithvi) and three in the third hell (Balukaprabha Prithvi). Or ... and so on up to... one in the first hell (Ratnaprabha Prithvi), one in the second hell (Sharkaraprabha Prithvi) and three in the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi). (This way there are 5 alternative combinations for the set of 1-1-3).
Or one in the first hell (Ratnaprabha Prithvi), two in the second hell (Sharkaraprabha Prithvi) and two in the third hell (Balukaprabha 4 Prithvi). Or ... and so on up to... one in the first hell (Ratnaprabha
Prithvi), two in the second hell (Sharkaraprabha Prithvi) and two in the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi). (This way there are 5 alternative combinations for the set of 1-2-2).
Or two in the first hell (Ratnaprabha Prithvi), one in the second hell (Sharkaraprabha Prithvi) and two in the third hell (Balukaprabha Prithvi). Or ... and so on up to... two in the first hell (Ratnaprabha
955555555
भगवती सूत्र (३)
(380)
Bhagavati Sutra (3)
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