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Thus the total number of alternative combinations related to five infernal beings becomes 7 options for no alternative combination of five, 84 options for alternative combination of 2, 210 options for alternative combination of 3, and 140 options for alternative combination of 4, 21 options for alternative combination of 5 making a total of 7+84+210+140+21 = 462 options. (Vritti, leaf 444)
छह नैरयिकों के प्रवेशनक भंग ALTERNATIVES FOR SIX INFERNAL BEING
२१. [प्र. ] छब्भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणए णं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा० ? पुच्छा । [उ. ] गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७ ।
२१. [ प्र. ] भगवन् ! छह नैरयिक जीव, नैरयिक प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न |
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[उ. ] गांगेय ! वे रत्नप्रभा में होते हैं, अथवा यावत् अधः सप्तम- - पृथ्वी में होते हैं । ( इस प्रकार ये असंयोगी ७ भंग होते हैं ।)
[Ans.] Gangeya! All the six together get born either in the first hell 5 (Ratnaprabha Prithvi) or in any other and so on up to... the seventh ! Shell (Adhah-saptam Prithvi). This way the number of alternative ! combinations for all six souls as individuals (no set-related alternative combination) are seven.
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21. [Q.] Bhante ! When six jivas (souls ) enter the infernal realm do they get born in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) or the second hell! (Sharkaraprabha Prithvi) or ... and so on up to... the seventh hell! (Adhah-saptam Prithvi) ?
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द्विकसंयोगी १०५ भंग 105 ALTERNATIVES FOR SETS OF TWO
२१. (क) अहवा एगे रयण०, पंच सक्करप्पभाए वा होज्जा १ अहवा एगे रयण०, पंच वालुयप्पभाए वा होज्जा २ । जाव अहवा एगे रयण०, पंच अहेसत्तमाए होज्जा ६ । अहवा दो रयण०, चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा १-७। जाव अहवा दो रयण०, चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा ६-१२। ५ अहवा तिणि रयण०, तिण्णि सक्कर. १ - १३ । एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं दुयासंजोगो तहा छह वि भाणियब्बो, नवरं एक्को अब्भहिओ संचारेयव्यो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १०५ ।
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२१. (क) (द्विकसंयोगी १०५ भंग - ) ( १ ) अथवा एक रत्नप्रभा में और पाँच शर्कराप्रभा में होते हैं। (२) अथवा एक रत्नप्रभा में और पाँच बालुकाप्रभा में होते हैं। अथवा (३ - ६) यावत् एक रत्नप्रभा में और पाँच अधः सप्तम - पृथ्वी में होते हैं । (१) अथवा दो रत्नप्रभा में और चार शर्कराप्रभा में होते हैं, अथवा (२-६) यावत् दो रत्नप्रभा में और चार अधः सप्तम - पृथ्वी में होते हैं। (१) अथवा तीन रत्नप्रभा प्र
भगवती सूत्र (३)
Bhagavati Sutra (3)
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