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जीव केवली यावत् केवलि - पाक्षिक उपासिका से सुने बिना ही शुद्ध बोधि (सम्यग्दर्शन) प्राप्त कर लेता 5 है, किन्तु जिस जीव ने दर्शनावरणीय कर्मों का क्षयोपशम नहीं किया है, उस जीव को केवली यावत् केवलि - पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना शुद्ध बोधि का लाभ नहीं होता। इसी कारण से हे गौतम! फ्र ऐसा कहा गया है कि यावत् किसी को सुने बिना शुद्ध बोधि का लाभ नहीं होता ।
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3. [Q. 2] Bhante! Why is it said that ... and so on up to... and some does not attain pure enlightenment (right perception/faith)?
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[Ans.] Gautam ! A jiva who has accomplished destruction-cumpacification of Darshanavaraniya karma (perception/faith obscuring karma) attains pure enlightenment (right perception / faith) even without 5 hearing it from (these ten) the omniscient ... and so on up to... or his (self-enlightened omniscient's) female devotee (upaasika). And a jiva has not accomplished destruction-cum-pacification of 卐 Darshanavaraniya karma (knowledge obscuring karma) does not attain pure enlightenment (right perception/faith) without hearing it from (these ten) the omniscient ... and so on up to ... or his (self-enlightened omniscient's) female devotee (upaasika ). Gautam ! That is why it is said that and so on up to... does not attain pure enlightenment (right perception/faith) without hearing the sermon.
अनगारिता का ग्रहण- अग्रहण INITIATION AS HOMELESS ASCETIC
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४. [ प्र. १ ] असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जा ?
[ उ. ] गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव उवासियाए वा अत्थेगइए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जा, अत्थेगइए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं नो पव्वएज्जा ।
४. [ प्र. १ ] भगवन् ! केवली यावत् केवलि-पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना ही क्या कोई जीव केवल मुण्डित होकर अगारवास त्यागकर अनगारधर्म में प्रव्रजित हो सकता है ?
[उ. ] गौतम ! केवली यावत् केवलि - पाक्षिक की उपासिका से सुने बिना ही कोई जीव मुण्डित होकर अगारवास छोड़कर शुद्ध या सम्पूर्ण अनगारिता में प्रव्रजित हो पाता है और कोई प्रव्रजित नहीं हो
पाता।
भगवती सूत्र (३)
4. [Q. 1] Bhante ! Can a jiva ( living being) tonsure his head, renounce his home and get initiated to accept the life of a homeless-ascetic (anagaar) even without hearing (the sermon ) from the omniscient ... and SO on up to... or his (self-enlightened omniscient 's) female devotee 5 (upaasika) ?
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Bhagavati Sutra (3)
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