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३७. [ प्र. ] भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है, पुरुषवेदी होता है, नपुंसकवेदी होता है, अथवा पुरुष नपुंसकवेदी होता है ?
[ उ. ] गौतम ! वह स्त्रीवेदी भी होता है या पुरुषवेदी होता है अथवा पुरुष - नपुंसकवेदी होता है ।
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[Q. 3] Bhante ! If he is savedi (genderic), then is he strivedi (feminine), purush vedi (masculine), napumsak-vedi (neuter ) or purush - फ napumsak (masculine-neuter)?
[ उ. ] गोयमा ! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा ।
३८. [ प्र. २ ] भगवन् ! यदि वह अकषायी होता है तो क्या उपशान्तकषायी होता है या क्षीणकषायी ?
[Ans.] Gautam ! He can be strivedi (feminine), purush-vedi (masculine), or purush-napumsak (masculine-neuter).
३८. [ प्र. १ ] से णं भंते ! सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ?
[ उ. ] गोयमा ! सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा ।
३८. [ प्र. १ ] भगवन् ! वह अवधिज्ञानी सकषायी होता है अथवा अकषायी होता है ?
[ उ. ] गौतम ! वह सकषायी होता है अथवा अकषायी भी होता है।
38. [Q. 1] Bhante ! Is he (the said Avadhi-jnani) with passions (sakashayi) or without passions (akashayi) ?
फ्र
[Ans.] Gautam ! He is with passions ( sakashayi) as well as without 5 passions (akashayi).
फ्र
३८. [ प्र. २ ] जइ अकसाई होज्जा किं उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा ?
[ उ. ] गौतम ! वह उपशान्तकषायी नहीं होता, किन्तु क्षीणकषायी होता है।
[Q. 2] Bhante ! If he is without passions ( akashayi ), then is he upshaant-kashaayi (with subdued passions) or ksheen-kashaayi (with destroyed passions)?
[Ans.] Gautam ! He is not upshaant-hashaayi (with subdued passions) but ksheen-kashaayi (with destroyed passions).
३८. [ प्र. ३ ] जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ?
[ उ. ] गोयमा ! चउसु वा, तिसु वा, दोसु वा, एक्कम्मि वा होज्जा । चउसु होज्जमाणे चउसु संजलणकोह - माण - माया -लोभेसु होज्जा, तिसु होज्जमाणे तिसु संजलणमाण - माया -लोभेसु होज्जा, दो होज्जमा दो संजलणमाया -लोभेसु होज्जा, एगम्मि होज्जमाणे एगम्मि संजलणे लोभे होज्जा ।
३८. [ प्र. ३ ] भगवन् ! यदि वह सकषायी होता है तो उसमें कितने कषाय होते हैं ?
[ उ. ] गौतम ! उसमें चार कषाय, तीन कषाय, दो कषाय अथवा एक कषाय होता है। यदि चार कषाय होते हैं, तो संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोभ होता है। यदि तीन कषाय होते हैं, तो
नवम शतक : इकत्तीसवाँ उद्देशक
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Ninth Shatak: Thirty First Lesson
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