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४१. [ प्र. १ ] से णं भंते! पव्वावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा ?
[ उ. ] हंता, गोयमा ! पव्वावेज्ज वा, मुंडावेज्ज वा ।
४१. [ प्र. १ ] भगवन् ! वे सोच्चा केवली किसी को प्रव्रजित करते हैं या मुण्डित करते हैं ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! वे प्रव्रजित भी करते हैं, मुण्डित भी करते हैं ।
41. JQ.1] Bhante ! Does he initiate or tonsure (someone) ?
[Ans.] Yes, Gautam ! He does initiate and he does tonsure (someone) as well.
४१. [ प्र. २ ] तस्स णं भंते! सिस्सा वि पव्वावेज्ज वा, मुंडावेज्ज वा ?
[ उ. ] हंता, पव्वावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा ।
४१. [ प्र. २ ] भगवन् ! उन सोच्चा केवली के शिष्य किसी को प्रव्रजित करते हैं या मुण्डित करते हैं ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! उनके शिष्य भी प्रव्रजित करते हैं और मुण्डित करते हैं ।
41. [Q. 2] Bhante ! Do his disciples too initiate or tonsure (someone) ? [Ans.] Yes, Gautam ! His disciples too initiate and tonsure (someone). ४१. [ प्र. ३ ] तस्स णं भंते ! पसिस्सा वि पब्वावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा ?
[ उ. ] हंता, पव्वावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा ।
४१. [ प्र. ३ ] भगवन् ! क्या उन सोच्चा केवली के प्रशिष्य भी किसी को प्रव्रजित और मुण्डित करते हैं ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! उनके प्रशिष्य भी प्रव्रजित करते हैं और मुण्डित करते हैं ।
41. [Q.3] Bhante ! Do disciples of his disciples too initiate or tonsure (someone)?
[Ans.] Yes, Gautam ! Disciples of his disciples too initiate and tonsure (someone).
४२. [ प्र. १ ] से णं भंते ! सिज्झइ बुज्झइ जाव अंतं करेइ ?
[ उ. ] हंता, सिज्झइ जाव अंतं करेइ ।
४२. [ प्र. १ ] भगवन् ! वे श्रुत्वाकेवली सिद्ध होते हैं, बुद्ध होते हैं, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं ?
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(349)
Ninth Shatak: Thirty First Lesson
[ उ. ] हाँ, गौतम ! वे सिद्ध होते हैं, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करते हैं।
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42. [Q. 1] Bhante ! Does he become Siddha (perfected soul), Buddha 5 (enlightened) ... and so on up to... end all misery?
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[Ans.] Yes, Gautam ! He becomes Siddha (perfected soul) ... and so on up to... end all misery.
नवग शतक : इकत्तीसवाँ उद्देशक
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