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7. The followers of Shramans are like aforesaid but those of Ajivaks are not like that.
८. आजीवियसमयस्स णं अयमढे पण्णत्ते-अक्खीणपडिभोइणो सब्वे सत्ता, से हंता, छेत्ता, भेत्ता, लुंपित्ता, विलुंपित्ता, उद्दवइत्ता, आहारमाहारेंति।
८. आजीविक (गोशालक) के सिद्धान्त का यह अर्थ (सार) है कि समस्त जीव अक्षीणपरिभोजी (सचित्ताहारी) होते हैं। इसलिए वे (लकड़ी आदि से) पीटकर, (तलवार आदि से) काटकर, (शूल आदि से) भेदन करके, (पंख आदि को) कतर (लुप्त) कर, (चमड़ी आदि को) उतारकर (विलुप्त करके) और विनष्ट करके खाते हैं।
8. The Ajivak doctrine says that all beings subsist on living organism (of some kind). That is why they beat, cut, pierce, shear, peel and even kill to acquire their food.
९. तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तं जहा-ताले १ तालपलंबे २ उबिहे ३ संविहे ४ अवविहे ५ उदए ६ नामुदए ७ णम्मदए ८ अणुवालए ९ संखवालए १० अयंबुले ११ __ कायरए १२।
९. ऐसी स्थिति (संसार के समस्त जीव असंयत और हिंसादिदोषपरायण हैं, ऐसी परिस्थिति) में ॐ आजीवक मत में ये बारह आजीविकोपासक हैं-(१) ताल, (२) तालप्रलम्ब, (३) उद्विध, (४) संविध, + (५) अवविध (६) उदय, (७) नामोदय, (८) नर्मोदय, (९) अनुपालक, (१०) शंखपालक, (११) - अयम्बुल, और (१२) कातरक।
9. Under these conditions (that all beings in this world are unrestrained and indulge in the sin of violence) there are twelve sects of followers of the Ajivak doctrine-(1) Taal, (2) Taal-pralamb, (3) Udvidh, (4) Samvidh, (5) Avavidh, (6) Udaya, (7) Naamodaya, (8) Narmodaya, (9) Anupaalak, (10) Shankhapaalak, (11) Ayambul, and (12) Kaatarak.
१०. इच्चेते दुवालस आजीवियोवासगा अरहंतदेवतागा अम्मा-पिउसुस्सूसगा; पंचफलपडिक्कंता, तं जहा-उंबरेहि, वडेहिं, बोरेहिं, सतरेहिं, पिलक्खूहिं; पलंडु-ल्हसण-कंद-मूलविवज्जगा; अणिल्लंछिएहिं अणक्कभिन्नेहिं गोणेहि तसपाणविवज्जिएहिं चित्तेहिं वित्तिं कप्पेमाणे विहरंति।
१०. इस प्रकार ये बारह आजीविकोपासक हैं। इनका देव अरहंत (स्वमत-कल्पना से गोशालक अर्हत्) है। वे माता-पिता की सेवा-शुश्रूषा करते हैं। वे पाँच प्रकार के फल नहीं खाते । वे इस प्रकार-उदुम्बर (गुल्लर) के फल, वड़ के फल, बोर, सयरी (शतापरी) के फल, पीपल फल तथा प्याज (पलाण्डु), लहसुन, कन्दमूल के त्यागी होते हैं तथा अनिाछित (वधिया न किये हुए), और नाक नहीं
नाथे हुए बैलों से, त्रस प्राणी की हिंसा से रहित व्यापार द्वारा आजीविका करते हैं। 5 10. Thus there are twelve aforesaid sects of followers of the Ajivak si
doctrine (Ajivakopasak). Their deity is an Arhant (a self-proclaimed
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भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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