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) 29. (Q.) Bhante ! How many afflictions are associated with Antaraya karma (power hindering karma)?
(Ans.] Gautam ! One affliction is associated with Antaraya karma (power hindering karma) - Alaabh-parishaha (affliction of nonattainment).
३०. [प्र. ] सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेति णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ णो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ। जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं निसीहियापरीसहं वेदेति, जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ। ___३०. [प्र. ] भगवन् ! सप्तविधबन्धक (सात प्रकार के कर्मों को बाँधने वाले) जीव के कितने परीषह बताये गये हैं ? । [उ. ] गौतम ! उसके बावीस परीषह कहे गये हैं। परन्तु वह जीव एक साथ बीस परीषहों का वेदन करता है; क्योंकि जिस समय वह शीत-परीषह वेदता है, उस समय उष्ण-परीषह का वेदन नहीं करता; और जिस समय उष्ण-परीषह का वेदन करता है, उस समय शीत-परीषह का वेदन नहीं करता। तथा जिस समय चर्या-परीषह का वेदन करता है, उस समय निषद्या-परीषह का वेदन नहीं करता और जिस समय निषद्या-परीषह का वेदन करता है, उस समय चर्या-परीषह का वेदन नहीं करता।
30. (Q.) Bhante ! How many afflictions a living being that has acquired bondage of seven species of karmas suffers ?
[Ans.] Gautam ! He is said to suffer twenty-two afflictions. However, at a time he suffers only twenty afflictions. This is because when a being suffers affliction of cold he does not suffer that of heat and vice versa; also when he suffers the movement related affliction he does not suffer accommodation related affliction and vice versa.
३१. [प्र. ] अट्ठविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पण्णत्ता ? [उ. ] गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता. एवं (सु. ३०) अट्ठविहबंधगस्स। ३१. [प्र. ] भगवन् ! आठ प्रकार कर्म बाँधने वाले जीव के कितने परीषह कहे गये हैं ?
[उ. ] गौतम ! उसके बावीस परीषह कहे गये हैं। यथा-क्षुधा-परीषह, पिपासा-परीषह, शीत-परीषह, दंशमशक-परीषह यावत् दंसण-परीषह। किन्तु वह एक साथ बीस परीषहों को वेदता के है। जिस प्रकार सप्तविधबन्धक के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार (सूत्र ३० के अनुसार) अष्टविधबन्धक के विषय में भी कहना चाहिए।
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अष्टम शतक : अष्टम उद्देशक
(183)
Eighth Shatak : Eighth Lesson
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