Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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चित्र-परिचय 14
प्रस्तुत चित्र में सादि सान्त बन्ध केही चित्र दिये गये हैं। विनसाबन्ध का चित्रांकन चित्र नं. 13 में किया गया है। यहाँ तालिका द्वारा इसे दर्शाया गया है।
बन्ध के प्रकार
(1) विस्रसाबन्ध
(2) प्रयोग बन्ध
सादि
अनादि
सादि सान्त
त्यधिक परिणाम प्रदायक
अनादि अनंत सादि अनंत 24 रुचक प्रदेश सिद्ध भगवान के बन्ध के परमाणुओं
का बन्ध
बंधन प्रत्ययिक
परमाणु
भाजन प्रत्ययिक परिणाम प्रत्ययिक गुड और पुरानी शराब बादल
धर्मास्तिकाय
अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय सादि अपर्यवसित-बन्ध (सादि सान्त)
अल्लिकापन-बन्ध
शरीर-बन्ध
शरीर-प्रयोग-बन्ध
आलापन-बन्ध घास की गठरी लकडी की गठरी
संहननबन्ध
श्लेषणाबन्ध चटाई, वस्त्र, चमड़ा, घड़े, गोंद, लाख, मोम
उच्चयबन्ध
भूसे का ढेर गोबर के उपलों का ढेर कूड़े-कचरे का ढेर
समुच्चयबन्ध तालाब, कुँआ आदि के किनारे या किले के प्रकोट में चूना, गीली मिट्टी या लकड़ी का बन्ध
देश संहनन बैल गाड़ी, रथ,
शिविका
सर्व संहनन दूध-पानी
शरीरबन्ध (समुद्घात करना)
पूर्व प्रयोग प्रत्ययिक मारणांतिक समुद्घात करते नैरयिक जीवों और संसारस्थ
जीवों के जीव प्रदेशों का आपस में स्पर्श
वर्तमान प्रयोग प्रत्ययिक केवलीसमुद्घात के मध्य में तैजस और कार्मण शरीर का बन्ध
शरीर प्रयोग
औदारिक शरीर
वैक्रियक शरीर
आहारक शरीर
तैजस् शरीर
कार्मण शरीर
-शतक 8, 3 9, सूत्र 1-24 !
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