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[प्र. ६ ] भगवन् ! यदि वह कार्मणशरीर का बन्धक है तो देशबन्धक है या सर्वबन्धक ?
[ उ. ] गौतम ! वह देशबन्धक है, सर्वबन्धक नहीं ।
127. [Q. 6] Bhante ! If he acquires the bondage of karmic body (karman sharira), does he acquire the bondage of the whole (sarvabandh) or a part (desh-bandh)?
[Ans.] He acquires the bondage of a part (desh-bandh), and not that of the whole (sarva-bandh). १२८. [ प्र. ] जस्स णं भंते ! कम्मगसरीरस्स देसबंधए से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स ?
[ उ. ] जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्स वि भाणियव्वा जाव तेयासरीरस्स जाव सबंध, नो सव्वबंधए ।
१२८. [ प्र. ] भगवन् ! जिस जीव के कार्मणशरीर का देशबन्ध है, वह औदारिकशरीर का बन्धक
है या अबन्धक ?
[उ. ] गौतम ! जिस प्रकार तैजस्शरीर की वक्तव्यता कही है, उसी प्रकार कार्मणशरीर की भी, यावत्- 'तैजस्शरीर' तक यावत्-देशबन्धक है, सर्वबन्धक नहीं, यहाँ तक कहना चाहिए ।
128. [Q. 1] Bhante ! A living being (soul) who has acquired bondage of karmic body (karman sharira) of a part (desh-bandh); does he or does he not acquire the bondage of gross physical body (audarik sharira)?
[Ans.] What has been stated about fiery body should be repeated here with regard to karmic body and so on up to He acquires that bondage, he does not remain free of this bondage.
तैजस्कार्मणशरीर का देशबन्धक औदारिकशरीर का बन्धक और अबन्धक कैसे - तेजस्शरीर और कार्मणशरीर का देशबन्धक जीव औदारिकशरीर का बन्धक भी होता है, अबन्धक भी, इसका कारण यह है कि विग्रहगति में वह अबन्धक होता है तथा वैक्रिय में हो या आहारक में, तब भी वह औदारिकशरीर का अबन्धक ही रहता है 5 और शेष समय में बन्धक होता है । उत्पत्ति के प्रथम समय में वह सर्वबन्धक होता है, जबकि द्वितीय आदि समयों में वह देशबन्धक हो जाता है। - (वृत्ति, पत्रांक ४२३)
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Elaboration-Bondage and non-bondage in five types of bodies-The bondage of gross physical and transmutable bodies can not be acquired at the same time. In the same way that of gross physical and अष्टम शतक : नवम उद्देशक
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विवेचन : पाँच शरीरों में परस्पर बन्धक - अबन्धक - औदारिक और वैक्रिय, इन दो शरीरों का परस्पर एक साथ बन्ध नहीं होता, इसी प्रकार औदारिक और आहारकशरीर का भी एक साथ बन्ध नहीं होता । अतएव फ औदारिकशरीरबन्धक जीव वैक्रिय और आहारक का अबन्धक होता है, किन्तु तैजस् और कार्मणशरीर का 55 औदारिकशरीर के साथ कभी विरह नहीं होता । इसीलिए वह इनका देशबन्धक होता है। इन दोनों शरीरों का सर्वबन्ध तो कभी होता ही नहीं ।
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Eighth Shatak: Ninth Lesson 卐
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