Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 348
________________ S alternatives) up to ... (8) it can be many elements and many element-parts. २७. जहा चत्तारि भणिया एवं पंच छ सत्त जाव असंखेजा। 卐 २७. जिस प्रकार चार प्रदेशों के विषय में कहा, उसी प्रकार पाँच, छह, सात यावत् असंख्यप्रदेशों तक के विषय में कहना चाहिए। 27. What has been said about four space-points should be repeated for five, six, seven ... and so on up to... innumerable space-points. ॐ २८. [प्र. ] अणंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा किं दव्वं ? है [उ. ] एवं चेव जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य। + २८. [प्र. ] भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के अनन्तप्रदेश क्या एक द्रव्य हैं या एक द्रव्य-देश हैं ? ॐ इत्यादि (पूर्वोक्त) अष्टविकल्पात्मक) प्रश्न . . . . । + [उ. ] गौतम ! पहले कहे अनुसार यहाँ भी यावत्- 'कथंचित् बहुत द्रव्य हैं, और बहुत द्रव्य-देश ॐ हैं'; यहाँ तक आठों ही भंग कहने चाहिए। 28. (Q.) Bhante ! Are infinite space-points (or ultimate particles) of matter comprised of- one dravya (entity or element) or one dravya-desh 9 (element-part) or all alternatives as aforesaid ? (Ans.) Gautam ! As aforesaid, mention all the eight alternatives up to ... (8) it can be many elements and many element-parts. म विवेचन : द्रव्य और द्रव्य-देश सम्बन्धी आठ भंग-जब दूसरे द्रव्य के साथ उसका सम्बन्ध नहीं होता, तब वह द्रव्य है, और जब दूसरे द्रव्य के साथ उसका सम्बन्ध होता है, तब वह द्रव्य-देश (द्रव्य का अवयव) है पुदगलास्तिकाय के एक प्रदेश में प्रदेश एक ही है, इसलिए ६ भंग नहीं पाये जाते। पुद्गलास्तिकाय के 卐 द्विप्रदेशिकस्कन्धरूप से परिणत दो प्रदेशों में उपर्युक्त ८ भंगों में से पूर्व के पाँच भंग पाये जाते हैं और पुदगलास्तिकाय के त्रिप्रदेशिकस्कन्धरूप से परिणत तीन प्रदेशों में पहले-पहले के सात भंग पाये जाते हैं। चार प्रदेशों में आठों ही भंग पाये जाते हैं। चार प्रदेशों से लेकर यावत् अनन्तप्रदेशी पुद्गलास्तिकाय तक में प्रत्येक में आठ-आठ भंग पाये जाते हैं। -(वृत्ति, पत्रांक ४२१) Elaboration-The eight alternative combinations of element and element-part-When one element (dravya) does not combine with another element it remains the same and continues to be called 'dravya'. But when it combines with another element the components are called element-part or dravya-desh. One space-point of matter is a single unit and therefore there is no scope of the last six aforesaid alternatives. An aggregate (skandh) of two ultimate-particles of matter has two spacepoints, as such first five of the said eight alternatives are applicable to it. | भगवती सूत्र (३) (288) Bhagavati Sutra (3) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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