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5 1. (Q.) Bhante ! Is a soul (iva) infested with Mohaniya karma 卐 (deluding karma) also infested with Ayushya karma (life-span
determining karma) ? And is a soul (iva) infested with Ayushya karma also infested with Mohaniya karma ?
(Ans.) Gautam ! A soul (jiva) infested with Mohaniya karma is also, as a rule, infested with Ayushya karma. However, a soul (jiva) infested with Ayushya karma may and may not be infested with Mohaniya karma.
५२. एवं नामं गोयं अंतराइयं च भाणियव्वं ४। ५२. इसी प्रकार नाम, गोत्र और अन्तरायकर्म के विषय में भी कहना चाहिए।
52. The same is true for Naam karma (form determining karma), Gotra karma (status determining karma) and Antaraya karma (power hindering karma).
५३. [प्र. ] जस्स णं भंते ! आउयं तस्स नामं० ? पुच्छा। [उ. ] गोयमा ! दो वि परोप्परं नियम।
५३. [प्र. ] भगवन् ! जिस जीव के आयुष्यकर्म होता है, क्या उसके नामकर्म होता है, और जिसके नामकर्म होता है, क्या उसके आयुष्यकर्म होता है ?
[उ. ] गौतम ! ये दोनों कर्म परस्पर नियमतः होते हैं।
53. [Q.1 Bhante ! Is a soul (jiva) infested with Ayushya karma (lifespan determining karma) also infested with Naam karma ? And is a soul (jiva) infested with Naam karma also infested with Ayushya karma ?
[Ans.] Gautam ! These two karmas coexist as a rule. ५४. एवं गोत्तेण वि समं भाणियव्वं । ५४. (आयुष्यकर्म के विषय में) गोत्रकर्म के साथ भी इसी प्रकार कहना चाहिए।
54. The same is true for Gotra karma (status determining karma) (in context of Ayushya karma).
५५. [प्र. ] जस्स णं भंते ! आउयं तस्स अंतराइयं ? पुच्छा। [उ. ] गोयमा ! जस्स आउयं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स आउयं नियमा ५।
५५. [प्र. ] भगवन् ! जिस जीव के आयुष्यकर्म होता है, क्या उसके अन्तरायकर्म होता है, और जिसके अन्तरायकर्म है, उसके आयुष्यकर्म होता है ?
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अष्टम शतक : दशम उद्देशक
(299)
Eighth Shatak : Tenth Lesson
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