________________
)
जध卐454545555555555555555555555
)))))))
|चित्र-परिचय 16
Illustration No. 16
अन्तीप जम्बूद्वीप में मेरू पर्वत की दक्षिण दिशा में चुल्लहिमवंत नामक वर्षधर पर्वत है। इस म पर्वत के पूर्व और पश्चिम दिशाओं में, चरमान्त से लवण समुद्र में चारों विदिशाओं में जगती
की कोट से 300-300 योजन लवण समुद्र में जाने पर पहला अन्तर्वीप आता है। ये अन्तर्वीप 300 योजन लम्बा-चौड़ा गोल है। यहाँ से 400 योजन की दूरी पर दूसरा अन्तर्वीप 400
योजन लम्बा-चौड़ा गोल है। इसी क्रम से 900 योजन की दूरी पर 7वाँ अन्तर्वीप 900 योजन ॐ लम्बा-चौड़ा गोल है। यह द्वीप आपस में थोड़े-थोड़े अंतर पर होने के कारण अन्तर्वीप कहलाते
हैं। इसी प्रकार मेरू पर्वत के उत्तर दिशा में शिखरी पर्वत है। इसके पूर्व और पश्चिम चरमान्त से भी चारों विदिशाओं में 28 अन्तर्दीप हैं। इनकी भी लम्बाई-चौड़ाई और आपस में दूरी चुल्लहिमवंत पर्वत के अन्तर्वीपों के समान समझनी चाहिए। यहाँ रहने वाले मनुष्य युगलिया
होते हैं।
-शतक 9, उ. 2, सूत्र 1-3
055555555555555555555555555)))))))))))
055555555555555555555555555555555555555555510
MIDDLE ISLANDS
In Jambudveep, to the south of Meru mountain lies the Varshadhar mountain called Chullahimavant. Going three hundred Yojan in the northeastern direction from the eastern extremity lies the first middle island. The length and width of this island is three hundred Yojans. In this sequence there are seven gradually large islands each in the four sub-directions; the seventh middle island being 900 Yojans long and wide. As these islands are separated by short distance they are called middle islands. In the same way to the north of Jambudveep lies Shikhari mountain. This also has 28 middle islands having same dimensions in the four sub-directions. People living in these islands are twin couples.
- Shatak-9, lesson-3, Sutra-1-3
0555555555555555555)))))))))))550
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org